तुलसी विवाह 2019: पूजा शुरू करने से पहले जरूर पढ़ें तुलसी विवाह की ये रोचक कहानी
जैसा कि हम सभी जानते हैं आज सम्पूर्ण भारत में तुलसी विवाह का पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. इस दौरान सभी लोग अपने अपने घरों में मौजूद तुलसी के पौधे की विधिवत पूजा करते हैं और परंपरा के अनुसार अन्य चीजें भी करते हैं, मगर इस बात से बहुत कम ही लोग अवगत होंगे कि तुलसी विवाह के संबंध में हमारे शास्त्रों तथा ग्रंथों में कुछ पौराणिक कथाओं का उल्लेख किया गया है जो काफी प्रचलित भी हैं. आज हम आपको उन्हीं में से एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं.
तुलसी विवाह की कहानी
बताया जाता है कि प्राचीन समय में एक परिवार में ननद-भाभी रहा करती थीं और ननद का विवाह अभी नहीं हुआ था. उनके घर में तुलसी का एक पौधा था और ननद उसकी बहुत ही मन से सेवा किया करती थी मगर उसकी भाभी को उसका ऐसा करना जरा भी नहीं पसंद आता था और कई बार वो गुस्से में अपनी ननद से कह दिया करती थी कि जब तेरा विवाह होगा तो मैं तुझे तुलसी ही खाने को दूंगी और तो और दहेज में भी तुलसी ही दूंगी.
वक़्त बीता और ननद की शादी भी हुई और उस दौरान उसकी भाभी ने शादी में आये सभी बारातियों के सामने ही उस तुलसी के गमले को तोड़ दिया और उसी क्षण वहां एक चमत्कार हुआ. गमले के जितने भी टुकड़े हुए थे वो सभी अलग-अलग तरह के स्वादिष्ट पकवान में बदल गए. भाभी ने ननद को गहने की बजाय तुलसी की मंजरी पहना दी और वहां भी एक चमत्कार हुआ, वह मंजरी सोने के आभूषणों में बदल गई. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उसके साधारण वस्त्रों के स्थान पर तुलसी का जनेऊ रख दिया तो वह भी रेशमी वस्त्रों में बदल गये.
जब ननद अपने ससुराल में पहुंची तो वहां पर लोगों ने उसके दहेज में आये सामान आदि के बारे में काफी तारीफ की मगर सबसे ज्यादा हैरान उसकी भाभी हुई क्योंकि उन्होंने तो हर चीज में तुलसी दी थी. हालांकि, इतना सब होने के बाद उसकी भाभी को भी तुलसी पूजन का महत्त्व समझ आ गया था और वह समझ गयी थी कि तुलसी पूजा में कितनी ज्यादा शक्ति है.
इसके बाद भाभी, जिनकी एक लड़की भी थी, उसे भी उन्होंने तुलसी जी की सेवा और पूजा करने को कहा और बताया कि अगर तू भी तन-मन से उनकी पूजा करेगी तो तुझे भी अपनी बुआ की ही तरह कई सारे अच्छे फल मिलेंगे मगर लड़की दूसरे आचरण की थी और तुलसी की सेवा करने का उसे कभी मन नहीं करता. फिर जब लड़की की शादी का वक़्त आया तो भाभी यानि कि लड़की की मां ने एक बार फिर से वही सब करने की सोची जो उसने अपनी ननद के विवाह के दौरान किया था.
उसने झट से तुलसी का गमला उठाया और वही सभी बारातियों के सामने ही फोड़ दिया, मगर इस बार पिछली बार की तरह कुछ भी नहीं हुआ और हर तरफ बस मिट्टी ही मिट्टी बिखर गयी. उसे लगा कोई गलती हो गयी होगी, इसके बाद उसने माला भी पहनाई और जनेऊ भी रखा मगर सब वैसा का वैसा ही रहा और उसमें कोई भी परिवर्तन नही हुआ. ऐसा करने से भाभी को कुछ भी लाभ तो नहीं हुआ बल्कि विवाह में आये सभी लोग उसकी खूब बुराई भी करने लगे. इतना ही नहीं ससुराल में भी उसकी लड़की की काफी बदनामी हो गयी.
इस घटना के बाद भाभी काफी दुखी हुई और द्वेष में वो अपनी ननद को भी कभी घर नहीं बुलाती थी. फिर एक बार उसके भाई ने सोचा- मैं ही बहन से मिल आऊं, फिर जब उसने अपनी बहन से मिलने की बात अपनी पत्नी को बताई तो भाभी ने थैले में जुवार भरकर कहा, “इसके अलावा तो घर में और कुछ है नहीं, यही ले जाओ”.
भाई भी दुखी मन वही लेकर चल दिया मगर रास्ते भर उसके दिमाग में यही चल रहा था कि भला कोई भाई अपनी बहन से मिलने जाता है तो जुवार लेकर आता है क्या. फिर जब वह अपनी बहन के घर के समीप पहुंचा तो उसने एक गौशाला में गाय के सामने जुवार का थैला उलट दिया. यह देख कर गौपालक ने कहा- ऐ भाई, गाय के आगे तुम इतनी कीमती सोना-मोती क्यों डाल रहे हो? तब भाई ने उसको सारी बात बताई और फिर वो सब सोना-मोती लेकर ख़ुशी-ख़ुशी अपनी बहन के घर गया. उपहार पाकर उसकी बहन भी बेहद खुश हुई.
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