ये है चीयर लीडर्स की दुनिया का सच, IPL में सैलरी से लेकर जिंदगी की हकीकत जान हैरान रह जाएंगे
हर साल आईपीएल अपने साथ अनेकों रंग लेकर आता है. इस दौरान विदेशी खिलाड़ी देसी रंग में रंग जाते हैं और स्टेडियम में चीयर लीडर्स अपने ग्लैमर से अलग ही तड़का लगाती हैं. आईपीएल एक जरिया होता है जिसमें अच्छे प्रदर्शन की बदौलत खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का सपना संजोते हैं. लेकिन आज के इस पोस्ट में हम आपको किसी खिलाड़ी के संघर्ष की कहानी नहीं सुनाने जा रहे बल्कि आईपीएल की उस चकाचौंध के बारे में बताने जा रहे हैं जो ग्लैमर में कहीं न कहीं गुम हो जाती है और आप तक पहुंच नहीं पाती. आज के इस पोस्ट में हम आपको उन चीयर लीडर्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर साल विदेशों से इस खेल का हिस्सा बनने हिंदुस्तान आती हैं. चीयर लीडर्स के बारे में बातें तो सभी करते हैं लेकिन क्या कभी आपने इनके बारे में गहराई से जानने की कोशिश की है?
बता दें, पिछले साल 8 आईपीएल टीम की चीयर लीडर्स विदेश से आई थीं जबकि 2 टीम (राजस्थान रॉयल्स, चेन्नई सुपर किंग्स) की चीयर लीडर्स भारतीय थीं. आपको जानकर हैरानी होगी कि विदेशों से भारत आने वाली अधिकतर चीयर लीडर्स यूरोप से आती हैं. हालांकि, कुछ इन्हें रूस से समझते हैं. कुछ चीयर लीडर्स पहले डांस प्रोफेशन में होती हैं जिन्हें चीयर लीडर्स का काम दिया जाता है.
आपको बता दें चीयर लीडर्स का भी काम किसी खिलाड़ी की तरह ही है, जिसमें अपने शरीर को लचीला बनाये रखने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है. ये मैदान पर खेल रहे खिलाड़ी जितनी ही मेहनत और ट्रेनिंग करती हैं.
जब पुरुष होते थे चीयर लीडर
अमेरिका में यह प्रोफेशन बेहद पॉपुलर है. यूरोप में होने वाले खेलों में चीयर लीडर परफॉर्म करते हैं. आप जानकर हैरान रह जायेंगे कि अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनिसोटा में चीयर लीडिंग की शुरुआत हुई थी और इसकी शुरुआत किसी महिला द्वारा नहीं बल्कि पुरुष द्वारा की गयी थी जिनका नाम जॉन कैंपबल था. साथ ही जॉन कैंपबल द्वारा जो चीयर स्कवॉड बनाया गया था उसमें भी सारे पुरुष ही शामिल थे. हालांकि, 1940 के बाद जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पुरुषों को सीमा पर जाना पड़ा तो महिलाएं बतौर चीयर लीडर भर्ती होने लगीं.
खैर, ये तो रही इतिहास की बातें और अब बात करें चीयर लीडर्स के तनख्वाह की तो आपको बता दें चीयर लीडर्स का चुनाव एजेंसियों के द्वारा किया जाता है और इन्हीं एजेंसियों से उन्हें करार के मुताबिक सैलरी मिलती है. बता दें, आईपीएल में विदेशी मूल की चीयर लीडर्स को तकरीबन 1500 से 2000 पाउंड जिसे भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट किया जाए तो लगभग 1 लाख 80 हजार रुपये महीने की सैलरी मिलती है. साथ ही आपका यह जानना भी जरूरी है कि यूरोपियन चीयर लीडर और किसी अन्य देश से आई चीयर लीडर के वेतन में फर्क होता है. इनका वेतन देश की करेंसी के हिसाब से तय किया जाता है.
क्या उन्हें चीरती हैं दर्शकों की नजरें?
क्या आपने कभी सोचा है कि दूसरे देश से भारत में आई विदेशी चीयर लीडर्स को चीयर लीडिंग करते समय कैसा महसूस होता है? इस पर एक चीयर लीडर ने जवाब दिया कि भारत में आकर वह किसी सेलेब्रिटी जैसा महसूस करती हैं. यहां चीयर लीडिंग करके उन्हें बहुत अच्छा लगता है. लोग यहां उनका किसी सेलेब्रिटी की तरह ऑटोग्राफ मांगने आते हैं.
वहीं, इंग्लैंड की एक चीयर लीडर ने दर्शकों को नसीहत देते हुए कहा कि हम पोडियम में डांस करती हुई कोई भोग-विलास के लिए बना सामान नहीं हैं और यह बात लोगों को समझनी चाहिए. हम लड़कियां हैं और किसी अन्य प्रोफेशन की तरह यह हमारा काम है. हमें भी इंसान की तरह समझा जाए न कि कोई हमारे शरीर या हमारे रंग रूप पर टिप्पणी करे.
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