एकमात्र विकल्प बनकर उभरी भाजपा, पहले चरण का चुनाव भाजपा के पक्ष में!
उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है. राजनीतिक दलों ने जनता को लुभाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. 7 चरणों में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पहले चरण के मतदान शनिवार को संपन्न हुआ. प्रथम चरण के मतदान के बाद भारतीय जनता पार्टी इकलौते विकल्प के रूप में उभरकर सामने आई है. भाजपा, सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के बीच कांटे के टक्कर होने के अनुमान थे लेकिन लगता है कि उत्तर प्रदेश की जनता ने मन बना लिया है कि इस बार प्रदेश में कमल खिलाएगें.
भारी संख्या में लोगों ने मतदान किया :
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 सीटों पर लोगों ने भारी संख्या में मतदान किया. जहां एक ओर बाकी दलों के बूथ खाली ही नज़र आये तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के बूथों पर लोगों का पूरे दिन तांता लगा रहा. यूपी में जहां पिछले कुछ महीनों से किसकी सरकार बनेगी इसको लेकर जो असमंजस की स्थिति बनी हुई थी वह अब कुछ हद तक साफ़ होती हुई नज़र आ रही है. प्रदेश की जनता ने सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा को ज्यादा तवज्जो ना देते हुए, भाजपा को प्राथमिकता देना ज्यादा सही समझा.
भाजपा ही है विकल्प :
भाजपा को प्राथमिकता देने का एक कारण ये भी है कि लोगों को लग रहा है कि केंद्र में भाजपा सरकार है और यदि प्रदेश में भी भाजपा की सरकार होगी तो विकास को प्रगति मिलेगी. साथ ही सपा और बसपा सरकारों की असफलताओं और वोट बैंक की राजनीति करने वाले इन दलों को नकार कर प्रदेश की जनता ने एक स्थिर और कार्यशील सरकार बनाने का भी फैसला किया है.
ज्यादातर सीटें भाजपा के खाते में :
गौरतलब है कि पहले चरण का मतदान काफी दिलचस्प है और ये आने वाले चरणों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे. यही कारण रहा कि प्रथम चरण के मतदान में अधिकतर वोट भाजपा के खाते में जाते दिखाई दिए. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 73 सीटों पर हुए मतदान के बाद लगभग 45 सीटें भाजपा के पक्ष में जाती दिख रही हैं. इससे यह स्थिति साफ होती दिख रही है कि यूपी में अबकी बार भाजपा सरकार बनने जा रही है.
भाजपा उत्साहित :
पहले चरण के समर्थन में जहां भाजपा का आत्मविश्वास चरम पर है वहीं दूसरी ओर बाकि दलों को अब जीत की राह काफी मुश्किल लगने लगी है. इन सब समीकरणों से ये कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में प्रदेश में बननी वाली सरकार भाजपा की ही होगी. अब देखना ये होगा कि क्या भाजपा इस धमाकेदार शुरूआत को आगे भी बनाकर रख पाती है और दूसरे दलों की रणनीति क्या होगी.