अध्यात्म

कामयाबी और संतान सुख पाने के लिए आज जरूर करें भगवान स्कन्द देव की पूजा

स्कन्द षष्ठी व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है और इस व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। ये व्रत पूरे दक्षिण भारत में धूम धाम से मनाया जाती है। इस वर्ष ये व्रत 19 अक्टूबर के दिन आ रहा है।

स्कन्द षष्ठी व्रत के दिन भगवान स्कंद देव की पूजा होती है, जो कि भगवान कार्तिकेय का ही एक रूप हैं। भगवान स्कंद देव को मुरुगन और सुब्रह्मन्य के नाम से भी जाना जाता है और ये मयूर की स्वारी करते हैं। भगवान स्कंद देव के 6 मुख होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से जीवन में सफलता और तरक्की मिलती है। इतना ही नहीं व्यक्ति के अंदर का क्रोध, लोभ, अहंकार भी खत्म हो जाती हैं।

स्कन्द भगवान की पूजा का महत्व

स्कन्द षष्ठी के दिन कुमार कार्तिकेय का व्रत रखने से और इनकी पूजा करने से कई तरह के रूके कार्य पूर्ण हो जाते हैं। इनकी पूजा करते समय इन्हें दही और सिंदूर जरूर अर्पित किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सिंदूर और दही अर्पित करने से मन की हर कामना को स्कन्द भगवान पूरा कर देते हैं और आपके घर के सदस्यों की रक्षा करते हैं।

इस तरह से की जाती है पूजा

  • स्कन्द षष्ठी के दिन आप सुबह स्नान कर लें और इसके बाद पूजा घर में एक साथ भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव, माता गौरी और भगवान गणेश जी की प्रतिमा रख दें।
  • भगवान को फूल, चावल, हल्दी, दूध, जल और इत्यादि चीजें अर्पित करें और एक देसी घी का दीपका जला दें।
  • दीपक जलाने के बाद आप सबसे पहले भगवान गणेश जी का नाम लें। गणेश जी को याद करने के बाद आप भगवान शिव और माता गौरी की पूजा करें।
  • भगवान शिव और माता गौरी की पूजा करने के बाद आप भगवान कार्तिकेय की पूजा शुरू करें और भगवान से अपने परिवार की खुशहाली की कामना करें। इसके बाद आप स्कंद षष्ठी महात्म्य का पाठ करें।
  • पाठ करने के बाद आप आरती करें और आरती पूरी होने के बाद प्रसाद लोगों को बांट दें।
  • अगर आप इस दिन व्रत करते हैं तो आप केवल फल ही खाएं और शाम के समय फिर से इसी तरह से पूजा करें।

स्कन्द षष्ठी से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान कार्तिकेय किसी बात पर शिव जी , गौरी मां और गणेश जी से नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़कर धरती पर आ गए थे। धरती पर आने के बाद भगवान कार्तिकेय ने एक राक्षस का वध कर दिया। जिस दिन भगवान कार्तिकेय ने इस राक्षस का वध किया था उस दिन स्कन्द षष्ठी ही थी और तभी से इस तिथि पर भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाने लगी।

होती है संतान की प्राप्ति

स्कन्द षष्ठी के दिन व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है। इसलिए जो लोग नि:संतानों हैं वो ये व्रत जरूर करें। इस व्रत को करने से उन्हें संतान सूख मिल जाएगा। संतान सूख के अलावा ये व्रत करने से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं और दरिद्रता खत्म हो जाती है।

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