हिन्दु धर्म में क्यों पहना जाता है बिछिया! बिछिया का महिलाओं के गर्भाशय से क्या है संबंध – जानिए
नई दिल्ली – हिन्दु धर्म में शादी-शुदा महिलाएं पांवो में बिछिया पहनती हैं। हमारे धर्म में दोनों पांवों की बीच की तीन उंगलियो में बिछिया पहनने का रिवाज है। औरतों से सारे श्रृंगार बिछिया और टीका के बीच होते हैं, यानि बिछिया औरतों का आखिरी आभुषण होता है। औरतों के सर पर सोने का टीका और पांव में चांदी की बिछिया पहनने का कारण यह होता है कि आत्म कारक सूर्य और मन कारण चंद्रमा दोनों की कृपा जीवनभर साथी बने रहे। Benefits of Bichhiya.
क्यों पहना जाता है बिछिया, यह है इसकी वजह –
हिन्दु धर्म में विवाहित भारतीय महिलायें बिछिया पहनती हैं। बिछिया केवल इस बात का प्रतीक नहीं है कि वे विवाहित हैं बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी है। वेदों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि इन्हें दोनों पैरों में पहनने से महिलाओं का मासिक चक्र नियमित होता है। भारत के शहरी क्षेत्र में इसका चलन कम हो गया है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इसकी महत्ता कायम है। बिछिया को हमेशा दाहिने तथा बायें पैर की दूसरी अंगुली में ही पहना जाता है। यह गर्भाशय को नियन्त्रित करती है। क्योंकि चाँदी एक अच्छा सुचालक है अतः यह पृथ्वी की ध्रुवीय ऊर्जा को ठीक करके शरीर तक पहुँचाती है जिससे पूरा शरीर फ्रेश हो जाता है।
बिछिया और महिलाओं के गर्भाशय के बीच है ये संबंध –
हमारे देश में हिन्दू महिलाएं सोलह श्रृंगार करने के लिए प्रसिद्ध हैं। माथे की बिंदी से लेकर, पांव में पहनी जाने वाली बिछिया तक, हर एक का अपना महत्व है। क्या आपको पता है कि महिलाओं द्वारा पांव में पहनी जाने वाली बिछिया का उनके गर्भाशय से गहरा संबंध होता है। शादी के बाद औरतों द्वारा बिछिया पहनने का रिवाज़ है। कई लोग इसे सिर्फ शादी का प्रतीक चिन्ह और परंपरा मानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि बिछिया का गर्भाशय से वैज्ञानिक संबंध भी है। पैरों के अंगूठे से सटी हुई दूसरी अंगुली में एक विशेष नस होती है जो सीधे गर्भाशय से जुड़ी होती है, जो गर्भाशय को नियंत्रित करती है और रक्तचाप को संतुलित रखती है। बिछिया के दबाव के कारण रक्तचाप नियमित और नियंत्रित रहता है।