जानिये आखिर 39,000 पाकिस्तानियों को सऊदी ने क्यों निकाला बाहर!
अभी हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो आतंकवाद पर नकेल कसते हुए मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पर बैन लगाया था. लेकिन सऊदी अरब ने तो अपने ही देशों के नागरिकों पर नकेल कस दी है. पिछले चार महीनों में 39,000 पाकिस्तानी नागरिकों को सऊदी अरब से वापस उनके देश भेजा गया है. इन्हें डिपॉर्ट करने के पीछे वीजा नियमों के उल्लंघन को कारण बताया गया है.
पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजा गया :
सुरक्षा सूत्रों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में सऊदी अखबार ने कहा कि जिन पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजा गया है वे वीजा नियमों के उल्लंघन और आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाए गए थे. यही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से कई आतंकी संगठन आईएसआईएस के समर्थक भी हो सकते हैं. सऊदी गजट की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई पाक नागरिक नशीले पदार्थों की तस्करी, चोरी, जालसाजी और शारीरिक उत्पीड़न जैसे अपराधों में भी संलिप्त पाए गए थे. इस रिपोर्ट को तैयार करने में सुरक्षा अधिकारियों की मदद ली गई है और उन्हीं की जानकारी के आधार पर इसे रिपोर्ट का रूप दिया गया है.
सूत्रों के अनुसार बहुत से पाकिस्तानी नशीले पदार्थों की तस्करी, चोरी, जालसाजी और हिंसा के अपराधों में पकड़े गए हैं। इसके मद्देनजर शूरा काउंसिल की सुरक्षा समिति के अध्यक्ष अब्दुल्ला अल सदाउन ने सऊदी अरब में काम के लिए नियुक्ति से पहले पाकिस्तानियों की गहन जांच का आह्वान किया है.
इन सभी घटनाओं को मद्देनजर शाउरा काउंसिल की सुरक्षा समिति के अध्यक्ष अब्दुल्ला अल-सादों ने आदेश दिया कि किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को सऊदी में काम दिए जाने से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच की जाए. अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि संबंधित विभागों के पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ भी संपर्क स्थापित किया जाए ताकि सऊदी में नौकरी के लिए आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों की पृष्ठभूमि और अतीत के बारे में पुख्ता जानकारी प्राप्त करने में आसानी हो. अब्दुल्ला ने आगे कहा कि पाकिस्तान से जो भी सऊदी में नौकरी के उद्देश्य के लिए आता है, उसके राजनैतिक और धार्मिक रुझान के बारे में दोनों पक्षों को पूरी जानकारी होनी चाहिए. इसके मद्देनजर शूरा काउंसिल की सुरक्षा समिति के अध्यक्ष अब्दुल्ला अल सदाउन ने सऊदी अरब में काम के लिए नियुक्ति से पहले पाकिस्तानियों की गहन जांच का आह्वान किया है. अल—सदाउन ने कहा, अफगानिस्तान से नजदीकी की वजह से पाकिस्तान खुद आतंकवाद से पीड़ित है. तालिबान चरमपंथी आंदोलन ने खुद पाकिस्तान में जन्म लिया था.