सिखों पर बनने वाले जोक्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, लोगों के लिए नैतिक दिशानिर्देश नहीं जारी कर सकते!
सिखों पर बनने वाले चुटकुलों का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में था. मांग की गई थी कि कोर्ट ऐसे चुटकुलों को रोकने के लिए गाइड लाइन बनाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सिख समुदाय से जुड़े चुटकुलों को रेगुलेट करने के संबंध में निर्देश देने में असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि अदालतें नागरिकों के लिए नैतिक दिशा-निर्देश जारी नहीं कर सकती हैं. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने कहा कि अदालत इस बारे में कोई व्यवस्था नहीं दे सकती कि लोगों को सार्वजनिक स्तर पर किस तरह से व्यवहार करना चाहिए और अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें सड़कों पर कौन प्रवर्तित करेगा.
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 27 मार्च को आदेश पारित करेगा :
30 अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि भारत में सिख समुदाय पर बनाए गए जोक्स के कारण न सिर्फ उनकी भावनाएं आहत होती है बल्कि विदेशों में भी उनका मजाक बनाया जाता है. कोर्ट में महिला वकील हरविंदर चौधरी ने याचिका दायर कर कहा था कि करीब 5 हजार वेबसाइट्स पर इस तरह के जोक्स भरे पड़े हैं जिसमें सिखों व सरदारों का मजाक बनाया जाता है. इन चुटकुलों में सिखों को बुद्धू, पागल, मूर्ख, बेवकूफ़, अनाड़ी, अंग्रेज़ी भाषा की अधूरी जानकारी रखने वाला और मंद बुद्धि और मूर्खता की मूर्ति के रूप में दिखाया जाता है, इस पर रोक लगाई जाए. इसके बाद कोर्ट में और याचिकाएं भी दायर की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 27 मार्च को आदेश पारित करेगा.
याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि अगर आज किसी धर्म या जाति विशेष के लिए कोई दिशानिर्देश बनाए जाते हैं, तो कल को कोई दूसरी जाति या धर्म के लोग दिशानिर्देश बनाने की मांग लेकर कोर्ट आ जाएंगे. जहां तक कानूनी सामधान की बात है, तो उस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हंसी पर कोई नियंत्रण नहीं है. कोई हंसता है और कोई नहीं हंसता. अगर किसी को जोक्स से आपत्ति है तो वो कानून के हिसाब से केस दर्ज करा सकता है.’
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपनी दलीलें रखने वाले वकीलों और सिख संस्थाओं से इस संबंध में सुझाव मांगें. कोर्ट ने यह भी कहा, ‘हम इस तरह के जोक्स और सामग्री के व्यावसायिक प्रचलन पर रोक का आदेश दे सकते हैं लेकिन व्यक्तिगत रूप से इसे रोकना आसान नहीं होगा.