1999 में ऑटो रिक्शा वाले ने अगवा किया था बच्चे को, 20 साल बाद अमेरिका में इस हाल में मिला बेटा
दुनिया में बहुत से ऐसी खबरें सामने आती हैं जो व्यक्ति को अंदर तक झकझोर देती हैं। जब एक बच्चा अपने माता-पिता की आंखों से ओछल होता है तब वे अपने बच्चे को ढूंढने का पूरा प्रयास करते हैं लेकिन अगर वो नहीं मिला तो खुद को ही तसल्ली देकर बैठ गए। ऐसी एक घटना चेन्नई में रहने वाले दंपत्ति की भी है जब उन्होने 20 साल पहले अपने बच्चे को खो दिया था। फिर अमेरिका में मिला 20 साल पहले अगवा हुआ बेटा, आगे क्या हुआ ये जानन दिलतस्प है।
अमेरिका में मिला 20 साल पहले अगवा हुआ बेटा
ये घटना चेन्नई की है जब 20 साल पहले एक दंपत्ति का बेटा अगवा हो गया था। इसका पता चलते ही खुशी से माता-पिता झूम उठे वे उसे वापस लाना चाहते थे। फिर मना कर दिया, क्योंकि अभी वह जहां है, वहां वो ज्यादा खुश है। साल 1999 में चेन्नई के नागेश्वर राव और शिवगामी के दो साल के बेटे अविनाश का एक ऑटो रिक्शा वाले ने अपहरण कर लिया था और उसने बच्चे को मलेशियन सोशल सर्विस नाम की एक संस्था को बेच दिया था। इस संस्था ने उसी साल शहर के 300 से अधिक बेसहारा बच्चों को अवैध रूप से दूसरे देशों के नागरिकों को गोद दे दिया था। इनमें से ज्यादातर बच्चों को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड भेज दिया गया था और इनमें से अमेरिका के एक दंपती ने अविनाश को गोद ले लिया था। इस मामले की जांच सीबीआई ने की और खोजबीन के बाद सीबीआई ने साल 2009 में अविनाश का डीएनए टेस्ट कराया गया। इसमें ये बात साबित हुई कि अविनाश पेंटर नागेश्वर राव का ही बेटा है, लेकिन यहां एक और अड़चन आ गई। अमेरिकी कानून के मुताबिक गोद लेने के बाद बच्चे को उसके दावेदार से तब तक नहीं मिलने दिया जाता, जब तक कि बच्चा बालिग नहीं हो जाता है। अब राव दंपती के पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा, लेकिन इस महीने अविनाश 22 साल का हो गया और वो अपने माता-पिता से मिलने भारत आया। 5 सितंबर को अविनाश जब मां शिवगामी और पिता नागेश्वर राव से मिला तो बहुत भावुक हो गया था।
मां-बेटे नहीं समझते एक-दूसरे की भाषा
अविनाश को तमिल नहीं सिर्फ अंग्रेजी आती थी और उसकी मां को तमिल भाषा के अलावा कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर भी दोनों एक-दूसरे के गले लगकर रो रहे थे। दोनों बहुत खुश हैं और मोहनवदीवेलन नाम के एक शख्स ने मां-बेटे के बीच ट्रांसलेटर का काम किया। शिवगामी और नागेश्वर राव का कहना था, ”खुशी बांटने से बढ़ती है और हम चाहते हैं कि हमारा बेटा हमेशा खुश रहे। फिर चाहे वह अमेरिका में रहे या भारत में रहे।” अविनाश ने बताया, ”मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूं, लेकिन फिलहाल मैं वापस जा रहा हूं। लौटकर फिर जरूर आऊंगा।” अविनाश ने आगे कहा, ”मैं जब लौटकर आऊंगा तो थोड़ी बहुत तमिल सीख लूंगा। मैं मां से बहुत सारी बात करना चाहता हूं और मैं उन्हें यह बताना चाहता हूं कि मैं उनसे मिलकर कैसा महसूस कर रहा हूं।”