दिव्यांग हैं पर बेचारी या मजबूर नहीं हैं, अच्छी पेंटर, सुरीली सिंगर और बढ़िया वायलन वादक है नूर
यदि हमें हाथ या पाँव में थोड़ी सी चोट भी लग जाती हैं तो हम इसे एक बहाना बनाकर कई सारे काम नहीं करते हैं. इसके अलावा और भी कई छोटे मोटे प्रॉब्लम होते हैं जिनका सहारा लेकर हम या तो हार मान लेते हैं या कामचोरी करने लगते हैं. यदि आपको लगता हैं कि सिर्फ आपकी जिंदगी ही मुश्किलों से भरी हैं तो जरा इस बहादुर और हुनरमंद लड़की की स्टोरी पढ़ लीजिये.
इनसे मिलिए, ये हैं नूर जलिला. केरल के कोझिकोड की रहने वाली 17 वर्षीय नूर एक दिव्यांग लड़की हैं. जनमद से ही उनके हाथ बांह के आगे और पैर घुटनों के नीचे विकसित नहीं हुए हैं. नूर की इस कंडीशन को देख आप में से कई लोग उससे सहानुभूति जता रहे होंगे और सोच रहे होंगे अरे रे बेचारी लड़की. लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं हैं. नूर खुद को ना तो मजबूर मानती हैं और ना ही बेचारी वेचारी समझती हैं. वो अपनी लाइफ ओ फुल एन्जॉय कर रही हैं. नूर जीवन में हमेशा पॉजिटिव रहती हैं. उसके लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं हैं. अपनी सी कंडीशन को बहना बनाकर वो एक जगह फ़ालतू बैठी नहीं रहती हैं.
नूर के अंदर कई सारे हुनर हैं. जैसे वो पेंटिंग बना सकती हैं, वायलन बजा सकती हैं, सुरीला गाना गा सकती हैं और बिना किसी की सहायता के अपने रोज मर्रा के काम काज भी कर सकती हैं. नूर हमेशा उर्जा से भरपूर रहती हैं. वे एक बेहतरीन स्पीकर भी हैं. लोगो को मोटिवेशनल स्पीच भी देती हैं. इसके अतिरिक्त वे ‘ड्रीम ऑफ अस’ नाम के एक एनजीओ का भी हिस्सा हैं. ये NGO दुव्यांग बच्चों के लिए काम करता हैं. नूर का सपना हैं कि वो बड़ी होकर इंग्लिश प्रोफ़ेसर या आईएएस अफसर बने.
नूर जब छोटी थी तो माता पिता से कई सवाल करती थी. जैसे उसके हाथ पैर दुसरे बच्चो की तरह यों नहीं हैं? वे बाकियों से अलग क्यों हैं? ऐसे में उसके माता पिता कहा करते थे कि वो बाकियों से अलग नहीं है. जब बड़ी होगी तो उसके हाथ पैर विकसित हो जाएंगे. हालाँकि बाद में जब नूर समझदार हुई तो जान गई कि उसकी कंडीशन क्या हैं. हालाँकि अपने सपनो और कामकाज के बीच उसने इसे कभी नहीं आने दिया. वो दूसरों से अलग नहीं बल्कि स्पेशल बन गई.
वायलन बनाना नूर से स्कूल में 7वी क्लास में सिखा. जबकि पेंटिंग बनाने के शौक के पीछे भी एक बड़ी दिलचस्प कहानी हैं. हुआ ये था कि एक दिन नूर की बहन आयशा घर में एक रिकॉर्ड बुक भूल गई थी. ऐसे में नूर ने उसे कलर बुक समझ लिया और उसमे रंग भरने लगी. इस बात का पता चलने पर पेरेंट्स ने उसे डाटा नहीं बल्कि उसके लिए एक स्केच बुक और कुछ कलर्स ला दिए. बस फिर क्या था नूर रोजाना कलर और पेंटिंग का अभ्यास करने लगी और आज एक बेहतरीन पेंटर हैं. उनकी बनाई कुछ पेंटिंग्स आर्ट एग्जिबिशन में भी लग चुकी हैं.
नूर हम सामान्य और दिव्यांग दोनों तरह के लोगो के लिए एक प्रेरणा हैं. ये हमें जिंदगी में हार ना माना और आगे बढ़ते रहना सिखाती हैं.