कितनी कारगर हैं लव मेरिज? जानिए कैसे दोनों परिवारों को करे ख़ुशी-ख़ुशी राज़ी
इंटर कास्ट मेरिज भारत में आज भी कई परिवार के लिए बहुत बड़ी बात होती हैं. उनके घर वाले अपनी जाति के अलावा किसी और कास्ट में बेटे या बेटी की शादी करना पसंद नहीं करते हैं. पर इस नादान दिल को भला कोई ये बात कैसे समझाए. जब ये किसी से प्यार करता हैं तो सामने वाले की कास्ट थोड़े ना देखता हैं. प्यार तो बस हो जाता हैं. अब प्यार हुआ तो शादी के सपने भी देखे जाते हैं. लेकिन बात फिर वहीं आकर अटक जाती हैं कि घर वाले नहीं मानेंगे. लव कपल्स के लिए ये बड़ी विडंबना हैं. घर वालो की सोच थोड़ी पुरानी होती हैं. उन्हें अपने बच्चो की ख़ुशी से ज्यादा समाज में अपनी इज्जत की पड़ी रहती हैं. फिर घर से भाग कर या जबरन रोधोकर लव मेरिज कर भी ले तो शादी के बाद दोनों परिवार के लोग खुश नहीं रहते हैं. एक दूरी सी बन जाती हैं.
भारत में शादी सिर्फ दोनों लोगो का रिश्ता नहीं होता हैं, बल्कि इस ख़ुशी में पूरा परिवार शामिल होता हैं. ऐसे में एक सुखी मेरिड लाइफ के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता हैं कि आपकी शादी में सभी की रजामंदी शामिल हो. तो अब लाख टके का सवाल ये उठता हैं कि ऐसा क्या किया जाए जो घर वाले आपकी लव मेरिज के लिए ख़ुशी ख़ुशी मान जाए.
1. पहली बार जब घर वालो को आप बताते हैं कि आपको दूसरी कास्ट का लड़का या लड़की पसंद हैं और उससे शादी करना हैं तो परिवार तहलका मचना तय हैं. इसके लिए आप पहले से तैयार रहे. इस स्थिति में आप उन्हें ये खबर देने से पहले से थोड़ा थोड़ा तैयार करते रहे. जैसे कभी अपने लवर को दोस्त बना घर ले आए और सबसे मिलवा दिया. लव मेरिज वाली कोई फिल्म परिवार के साथ बैठ कर देख ली. जिस कास्ट में शादी कर रहे हैं उसकी थोड़ी तारीफ़ कर दी. फिर जब सही मौका हो तब ये खबर सभी को दे. आप चाहे तो पहले घर में उन लोगो को बताए जो आपके सपोर्ट में आ सकते हैं. ताकि बाद में आप उनके सतह मिल गुस्सा होने वाले सदस्यों को ये बात बतला सके.
2. लव मेरिज का विरोध करने का सबसे बड़ा करण यही होता हैं कि बड़े बुजुर्गों को समाज का और लोग क्या कहेंगे का डर होता हैं. ऐसे में आप उन्हें प्यार से समझाइए की शादी में पार्टनर कैसा होता हैं ये मायने रखता है. यदि सेम कास्ट में शादी कर आप ही खुश नहीं रहेंगे तो मतलब क्या हैं. आपकी ख़ुशी मायने रखती हैं ना कि समाज और रिश्तेदारों की. वे तो शादी में मेहमान बन कुछ देर के लिए आएँगे, कुछ बुराइयाँ करेंगे और चले जाएंगे. फिर उन्हें आपकी जिंदगी से कोई लेना देना नहीं होता हैं. परिवार तो आपको ही देखना हैं. इसलिए अपनी पसंद की शादी क्यों ना करे.
3. कास्ट अलग होने की वजह से दोनों परिवार का रहन सहन और धार्मिक मान्यताएं भी अलग हो सकती हैं. ऐसे में ये जरूरी हैं कि आप दोनों की आस्थाओं की रिस्पेक्ट करे. थोड़ा आप एडजस्ट करे और थोड़ा उन्हें एडजस्ट करने दे. शादी होने पर भी दोनों के रीती रिवाजों का बराबर ख्याल रखे. इससे परिवार के बीच मतभेद कभी नहीं होगा. इसके अलावा सभी को मान सम्मान दे और उनसे प्रेम पूर्वक पेश आए. प्रेम और सम्मान हर समस्यां का समाधान होता है.