दिल्ली का मीना बाज़ार हो गई कांग्रेस, पुराने ग्राहक ही आते हैं घूमने: शिवसेना
लोकसभा चुनाव के नतीज़ों के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती नया अध्यक्ष चुनना था, जिसके लिए फिलहाल सोनिया गांधी को चुना गया। जी हां, सोनिया गांधी को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, जिसको लेकर शिवसेना ने सामना में जबरदस्त लेख छापा है। इतना ही नहीं, शिवसेना ने सामना में सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनाए जाने पर मीना बाज़ार की संज्ञा दे डाली, जिसके बाद इस पूरे प्रकरण पर सियासत शुरु हो गई। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
शिवसेना ने अपने मुख्य पत्र सामना में कांग्रेस अध्यक्ष पर टिप्पणी करते हुए मीना बाज़ार ठहरा दिया। जी हां, शिवसेना ने कांग्रेस की नयी नवेली अध्यक्ष पर जमकर खरी खोटी लिखते हुए उनके साथ हुई नाइंसाफी को उजागर किया। इसके साथ ही शिवसेना ने राहुल गांधी द्वारा दिए गए इस्तीफे की तारीफ करते हुए चंद शब्द लिखे। इस दौरान शिवसेना ने कांग्रेसियों के तमाम नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए युवाओं पर भी तीखी टिप्पणी की, जिसके बाद उन्होंने सोनिया गांधी के साथ हुई नाइंसाफी पर प्रकाश डाला।
सोनिया गांधी के साथ हुई नाइंसाफी
शिवसेना ने सामना में लिखा कि सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाना, उनके साथ नाइंसाफी करने जैसा है। दरअसल, शिवसेना का कहना है कि 75 दिन के बाद 73 साल की सोनिया गांधी को कांग्रेस की कमान संभालने के लिए आगे आना पड़ा, जोकि उनके साथ नाइंसाफी हुई है। शिवसेना ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सोनिया गांधी अक्सर बीमार रहती हैं और उन्हें इलाज कराने के लिए बार बार विदेश जाना पड़ता है, ऐसे में उनके ऊपर कांग्रेस की जिम्मेदारी डालना नाइंसाफी नहीं तो क्या है।
मीना बाज़ार है कांग्रेस
शिवसेना ने आगे लिखा कि इस समय कांग्रेस पार्टी दिल्ली का मीना बाज़ार जैसी हो गई, जिसमें सिर्फ पुराने लोग आते हैं और घूम के चले जाते हैं। इस कथन के साथ शिवसेना ने यह भी लिखा कि अब कांग्रेस में युवाओं की भर्ती होनी बंद हो चुकी है और सब पुराने लोग ही है, उसमें जोकि सिर्फ घूमने का काम कर रहे हैं। बता दें कि सोनिया गांधी ने बीमारी का हवाला देते हुए पिछले साल ही अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन एक बार फिर से उनके ही कंधों पर कांग्रेस की जिम्मेदारी आन पड़ी।
शिवसेना ने अपने इस लेख में राहुल गांधी के इस्तीफा देने के फैसले की जमकर तारीफ करने के साथ लिखा कि उन्होंने बहुत सोच समझ कर फैसला लिया था और कांग्रेस को गांधी परिवार की बैसाखी से आज़ाद कराने के बारे में सोचा था, लेकिन अब मामला कुछ और ही नज़र आ रहा है। शिवसेना ने अपने लेख में कहा कि कांग्रेस गांधी परिवार की बैसाखी को छोड़ना ही नहीं चाहता है, जिसकी वजह से ही कोई दिग्गज नेता कांग्रेस की कमान संभालने के लिए आगे नहीं आया और इसीलिए सोनिया को अध्यक्ष बनना पड़ा।