अध्यात्म

बेहद ही भव्य है तिरुपति बालजी का मंदिर, पढ़ें बालाजी की पौराणिक कथा

तिरुपति बालाजी मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है और इस मंदिर में रोजाना दूर-दूर से लोग वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करने के लिए आते हैं। ये मंदिर तिरुमाला पर्वत पर स्थित है और ये मंदिर भगवान विष्णु के अवतार प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को समर्पित है। ये मंदिर विश्व के सबसे अमीर धनी मंदिर में से एक है और ऐसा कहा जाता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के पास 50 हजार करोड़ से अध‌िक की संपत्त‌ि है। तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्तों द्वारा ये धन चढ़ाया गया है। वहीं आखिर क्यों तिरुपति बालाजी मंदिर के पास इतना धन है इससे एक कथा जुड़ी है।

हमारे शास्त्रों में लिखी गई एक कथा के अनुसार एक बार भगवान व‌िष्‍णु को महर्ष‌ि भृगु ने छाती पर लात मार दी थी। छाती पर लात मारते ही भगवान विष्णु खड़े हो गए और उन्होंने महर्ष‌ि भृगु के पैर पकड़कर उनसे कहा कि आपको कोई चोट तो नहीं आई। जिसके बाद महर्ष‌ि भृगु को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान विष्णु से माफी मांगी और भगवान विष्णु ने उन्हें माफ कर दिया। लेकिन मां लक्ष्मी को महर्ष‌ि भृगु के व्यवहार पर गुस्सा आ गया और वो विष्णु जी से नाराज हो गई। मां लक्ष्मी ने विष्णु जी से गुस्से में कहा कि उन्होंने महर्ष‌ि भृगु को दंड क्यों नहीं दिया। विष्णु भगवान द्वारा महर्ष‌ि भृगु को दंड ना दिए जाने से नाराज होकर मां लक्ष्मी पृथ्‍वी पर आ गई और यहां आकर उन्होंने एक राजा के यहां पद्मावती नाम से जन्म लिया।

भगवान विष्णु मां लक्ष्मी यानी पद्मावती को मानने के लिए धरती में आए और धरती पर आकर उन्होंने पद्मावती से विवाह करना का प्रस्ताव रखा। लेकिन पद्मावती से विवाह करने के लिए विष्णु जी के पास धन नहीं था। इसलिए उन्होंने  कुबेर से काफी धन कर्जे में लिया। जिसके बाद भगवान व‌िष्‍णु के वेंकटेश रुप ने पद्मवती ने व‌िवाह कर लिया। कुबेर जी से कर्ज लेते समय भगवान ने उन्हें इस बात का वचन द‌िया था क‌ि कल‌ियुग के अंत तक वो अपना सारा कर्ज उन्हें चुका देंगे और भगवान विष्णु के इसी कर्जे को चुकाने के लिए भक्त इस मंदिर आकर उनको धन चढ़ाते हैं ताकि उनका कर्जा उतर जाए।

पापों से मिल जाती है मुक्ती

इस मंदिर से मान्यता जुड़ी हुई है कि जो भक्त इस मंदिर में वैकुंठ एकादशी के दिन पर आते हैं और भगवान बाला जी के दर्शन करते हैं। उन लोगों को अपने पापों से मुक्ती मिल जाती है। इसी वजह से वैकुंठ एकादशी के दिन दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आकर भगवान विष्णु के दर्शन किया करते हैं।

कैसे जाएं इस मंदिर

आप वायु, रेल और सड़के मार्ग के जरिए आसानी से इस मंदिर पहुंच सकते हैं।

कहां ठहरे

इस मंदिर के पास ही कई सारे होटल और धर्मशाला हैं जहां पर आप रुक सकते हैं। हालांकि इस जगह जाने से पहले आप अपने लिए पहले से ही धर्मशाल या होटल का कमरा बुक करवा लें। क्योंकि इस जगह पर खूब भीड़ होती है और त्योहारों के समय यहां पर कमरे मिला मुश्किल होते हैं।

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