जीवन में सफलता पाने के लिए अपनाएं देवगुरु बृहस्पति की ये तीन नीति
गुरु बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र थे और गुरु बृहस्पति के पास हर समस्या का हल हुआ करता था। ऐसा कहा जाता है कि जब देवराज इंद्र से उनका राज्य असुरों द्वारा छीन लिया गया था। तब देवराज इंद्र ने गुरु बृहस्पति से मदद मांगी थी। जिसके बाद गुरु बृहस्पति ने पूजा पाठ कर एक रक्षा पोटली तैयार की थी और इस पोटली को इंद्र ने अपने हाथ में बांधकर युद्ध लड़ा था और इस युद्ध को जीतकर इंद्र को अपना राज्य वापस मिल गया था।
गुरु बृहस्पति को बेहद ही तेज माना जाता था और जीवन में कोई भी दिक्कत आने पर देवता बृहस्पति की मदद लिया करते थे। गुरु बृहस्पति ने जीवन में सफल होने से जुड़ी कई सारी नीतियां बताई हैं और इन नीतियों का पालन अगर इंसान करे तो इंसान को अपने जीवन में सफलता ही मिलती है। ये नीतियां इंसान को जीवन में कामयाब बना सकती हैं। इसलिए जो भी लोग अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं वो बृहस्पति द्वारा बताई गई इन नीतियों को अपना लें। गुरु बृहस्पति द्वारा श्लोकों के जरिए तीन महत्वपूर्ण नीतियां बताई गई हैं और ये नीतियां इस प्रकार हैं –
गुरु बृहस्पति द्वारा बताई गई पहली नीति
श्लोक: सकृदुच्चरितं येन हरिरित्यक्षरद्वयम्। बद्धः परिकरस्तेन मोक्षाय गमनं प्रति।।
इस श्लोक का अर्थात – जो इंसान हर वक्त भगवान को याद करता है उस इंसान को जीवन में सफलता ही मिलती है। वक्त चाहे बुरा हो या अच्छा इंसान को हमेशा भगवान को याद रखना चाहिए। भगवान का स्मरण करना सबसे उत्तम काम होता है और जो लोग भगवान का नाम हर समय लेते हैं वो लोग अपने जीवन में हर सुख पा लेते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गुरु बृहस्पति द्वारा बताई गई दूसरी नीति
श्लोक: त्यज दुर्जनसंसर्ग भज साधुसमागमम्। कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यताम्।।
इस श्लोक का अर्थात – इंसान को केवल अच्छी सोच वाले लोगों के साथ ही दोस्ती करनी चाहिए। जिन लोगों की सोच अच्छी होती है उन लोगों के साथ रहने से आपकी सोच भी अच्छी बनी रहती है। जबकि जिन लोगों के मन में बुरे विचार आते हैं उन लोगों के साथ रहने से आपकी सोच भी नकारात्मक हो जाती है। इसलिए आप अपने जीवन में दुर्जन लोगों से दूरी बनाए रखें और सिर्फ बुद्धिमान और सज्जन लोगों से ही दोस्ती करें। सज्जन लोगों के साथ रहने से आपको सही गलत की पहचान होती है और जो व्यक्ति सही और गलत की पहचान रखता है उसे जीवन में कामयाबी ही मिलती है।
गुरु बृहस्पति द्वारा बताई गई तीसरी नीति
श्लोक: तैस्तच्छरीरमुत्सृष्टं धर्म एकोनुग्च्छति। तस्ताद्धर्मः सहायश्च सेवितव्यः सदा नृभिः।।
श्लोक का अर्थात -जीवन में हर चीज आपका साथ छोड़ सकती है लेकिन धर्म कभी भी साथ नहीं छोड़ता है। इसलिए हर मनुष्य को अपने धर्म का पालन करना चाहिए। धर्म का पालन करने वाले लोगों को पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान इंसान की रक्षा करते हैं।
ऊपर बताई गई नीतियों को अपनाने से आपको जीवन में केवल सुख, शांति और सफलता ही मिलेगी ।