बड़े भाई के शहीद होने के बाद छोटे भाइयों ने ज्वाइन की आर्मी, बोले आतंकियों से लेंगे बदला
कश्मीर में आतंकवाद कितना ज्यादा बवाल खड़ा करता हैं इस बात से तो आप सभी वाकिफ होंगे ही. यहां आतंकी संगठन कश्मीरी युवाओं का ब्रेन वाश कर उन्हें भी ही गलत काम में शामिल करने की कोशिश करते रहते हैं. हालाँकि सभी युवक इनके झासे में नहीं आते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो भारतीय सेना ज्वाइन कर इन आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब देना चाहते हैं. पिछले साल जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए औरंगजेब भी एक ऐसे ही युवा थे जो इंडियन आर्मी में रहकर देश की सेवा कर रहे थे. हालाँकि आतंकियों को ये बात रास नहीं आई थी और वे कश्मीर के युवाओं के मन में डर पैदा करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने औरंगजेब को किडनेप कर मार दिया था.
इसके बाद पुलिस को कालम्पोरा से करीब 10 किलोमीटर दूर गुस्सु गांव में औरंगजेब का शव मिला था. औरंगजेब के सिर और गर्दन में गोलियों के निशान थे साथ ही पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि आतंकियों ने उन्हें मारने के पूर्व टार्चर भी किया था. ये काम करने के पीछे टेररिस्ट ग्रुप का मकसद बहुत क्लियर था. वे कश्मीरी युवको को चेतावनी देना चाहते थे कि यदि वे भारतीय सेना ज्वाइन करते हैं या उनका साथ देते हैं तो उनका भी यही हाल होगा. हालाँकि आरंगजेब के दोनों भाइयों ने आतंकियों के इन नापाक मंसूबो को कामयाब नहीं होने दिया और गर्व से इंडियन आर्मी को ज्वाइन कर लिया.
मोहम्मब शाबिर और मोहम्मद तारिक आरंगजेब के भाई हैं. इन्होने भारतीय सेना में शामिल होकर ना सिर्फ आतंकियों के इरादों पर पानी फेरा हैं बल्कि वे अपने भाई की हत्या का बदला भी आतंकियों से लेना चाहते हैं. दोनों भाइयों के इस फैसले की हर कोई तारीफ़ कर रहा हैं. इनकी तस्वीरें भी इन दिनों इंटरनेट पर तेज़ी से वायरल हो रही हैं.
अपने दोनों बेटे के इस फैसले पर पिता हनीफ को बहुत गर्व हैं. अपने बेटे आरंगजेब की शहादत से वे बहुत दुखी थे. उनका कहना हैं कि यदि मेरा बेटा आतंकियों से लड़ाई करते हुए शहीद होता तो मुझे दुःख ना होता लेकिन उन लोगो ने उसे धोखे से मारा हैं. मेरा तो मन करता हैं मैं खुद ही जाकर बेटे की हत्या का बदला ले लू लेकिन मुझे पूरा विश्वास हैं कि मेरे दोनों बेटे भी ये काम कर लेंगे.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि औरंगजेब 44 राष्ट्रीय राइफल्स के जवान थे. वे बीते वर्ष 14 जून सुबह ईद का त्यौहार मानाने के लिए राजौरी से अपने गाँव जा रहे थे. बस इसी दौरान कुछ आतंकियों ने उसे धोखे से किडनेप कर मार दिया था.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी में भारतीय सेना में 100 जवानों की भर्ती हुई है जिसमें औरंगजेब के दोनों भाई शामिल हैं. औरंगजेब के परिवार को देश सेवा विरासत में मिली है और उनके पिता मोहम्मद हनीफ भी सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं. सेना की परीक्षा में करीब 11 हजार युवक शामिल हुए थे जिसमें 100 जवानों को अंतिम रूप से चुना गया. औरंगजेब सेना के सबसे जाबाज़ और बहादुर जवानों में से एक थे. ऐसे में हमें उम्मीद हैं कि उनके दोनों भाई इस शहादत का बदला जरूर लेंगे.