आरक्षण पर RSS नेता का बयान, ‘आरक्षण बना रहा तो बढेगा अलगाववाद…!’
(‘संविधान में चुपके से लाया गया था सेक्युलर शब्द, किसी ने इस शब्द की मांग की थी क्या?’)
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी कि आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने एक बयान दिया है जो फ़िलहाल विरोधियों के निशाने पर है. यूपी के समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है. और ऐसे में मनमोहन वैद्य का बयान बेहद महत्वपूर्ण है.
मनमोहन वैद्य ने आरक्षण के मुद्दे पर बात की :
मनमोहन वैद्य ने आरक्षण के मुद्दे पर बात की है, उन्होंने कहा कि आरक्षण ख़त्म किया जाना चाहिये. आरक्षण की जगह ऐसी व्यवस्था लानी चाहिये जिसमें सबको समान अवसर और शिक्षा के अवसर मिलें. मनमोहन जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बोल रहे है थे.
आरक्षण से अलगाववाद को बढ़ावा :
उन्होंने कहा कि आरक्षण से अलगाववाद को बढ़ावा मिलता है. अगर लम्बे समय तक आरक्षण की व्यवस्था बनी रही तो हम अलगाववाद की ओर बढ़ जायेंगे. किसी भी राष्ट्र में आरक्षण की ऐसी व्यवस्था का हमेशा बने रहना अच्छी बात नहीं है. सभी को एक सामान मौके और शिक्षा मिलनी चाहिये. अगर ऐसा नहीं होता है तो यह अलगाववाद बढ़ाने वाली बात होगी.
गौर करने वाली बात यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण के मुद्दे पर बयान दिया था जिसे बीजेपी की विपक्षी पार्टियों ने मुद्दा बनाया था और महागठबंधन के दौरान अपने पक्ष में भुनाने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बिहार में बीजेपी की हार के पीछे मोहन भागवत के उस बयान को बड़ी वजह माना जाता है, ऐसे में आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य के इस बयान को भी संदेह की नज़रों से देखा जा रहा है.
इतना ही नहीं उन्होंने संविधान पर भी सवाल उठाये, उन्होंने भारत की विविधता का जिक्र किया और फिर हिंदुत्व की विविधता का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म विविधता की बात करता है, और एक आदर्श हिन्दू राष्ट्र में धर्मों की विविधता स्वीकार्य होगी.
उन्होंने संविधान में उल्लिखित सेक्युलर शब्द का जिक्र किया आयर कहा कि 1976 में चुपके संविधान में सेक्युलर शब्द लाया गया. उन्होंने सवाल उठाते हुये कहा कि ‘किसी ने इस शब्द की मांग की थी क्या? इसे शब्द को संविधान में आखिर क्यों शामिल किया गया?’