वोटर्स का मन टटोल रहा है अखिलेश यादव का कॉल सेंटर!
समाजवादी पार्टी में उठा-पटक के बाद अब अखिलेश यादव का पूरा ध्यान यूपी चुनाव पर लगा है. यूपी में दोबारा सत्तासीन होने का कोई मौका अखिलेश छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। इसलिए हर वो उपाय इस्तेमाल कर रहे हैं जो जीत तय कर सके. ऐसी ही एक कोशिश है अखिलेश की लोकप्रियता जानने के लिए लखनऊ में बनाया गया कॉल सेंटर.
अखिलेश यादव का कॉल सेंटर :
अखिलेश के चुनाव अभियान के तहत लखनऊ से 70 युवतियां पूरे यूपी में फोन कर रही हैं. यहां से कॉलर्स फोन करके ये जानने की कोशिश करते हैं कि लोग अखिलेश के खिलाफ तो नहीं हैं। और अगर पक्ष में हैं तो उनकी क्या अपेक्षाएं हैं. इन कॉलर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे किसी को भी खुद का परिचय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नुमायंदे के तौर पर न दें. बल्कि ये बताए कि वे दिल्ली स्थित किसी मीडिया हाउस के प्रतिनिधि हैं और एक चुनावी सर्वे कर रहे हैं.
सीएम के इस कॉल सेंटर में करीब 70 लड़कियां मौजूद हैं, ये दो सिफ्ट में काम कर रही हैं। अखिलेश ने अपने इस कॉलसेंटर का कुछ दिन पहले ही उद्घाटन किया था. ये कॉलर्स खास तौर से ग्रामीण मतदाताओं को कॉल करतीं हैं। जिनसे वे अखिलेश सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी साझा करती हैं। साथ ही इन योजनाओं में आने वाली दिक्कतों के बारे में भी जानकारी लेती हैं.
इसके बाद जिन बातों से अखिलेश खेमे को परेशानी हो सकती है उन सूचनाओं की जानकारी ज़मीनी तौर पर काम कर रहे 700 लोगों के ग्रुप को दे दी जाती है. इसके बाद ये 700 लोगों की टीम उन इलाकों का दौरा कर लोगों का झुकाव अखिलेश यादव की ओर करने की कोशिश करते हैं.
अखिलेश यादव के लिए ये रणनीति हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नेंस में लेक्चरर स्टीव जार्डिंग ने तैयार की है. जार्डिंग के स्टूडेंट अद्वैत विक्रम सिंह ने ही उनका परिचय अगस्त में अखिलेश से करवाया था, और तभी से वो मुख्यमंत्री के लिए रणनीति तैयार करने में मदद कर रहे हैं. जिसमें अखिलेश की उनके पिता मुलायम सिंह यादव से हुई ज़ोरदार जंग भी शामिल है. कुछ लोग यह मानते हैं कि उत्तर प्रदेश के चुनावी अभियान के दौरान अखिलेश यादव ने खुद को जाति की सीमाओं को लांघने वाले विकास के पक्षधर नेता के रूप में पेश करने का फैसला प्रोफेसर जार्डिंग की सलाह पर ही लिया था.