सफल होने के लिए इंसान को जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहने चाहिए
रामकृष्ण परमहंस जी स्वामी विवेकानंद के गुरु हुआ करते थे और इन्हीं से ही स्वामी विवेकानंद ने जीवन को कैसे जीया जाता है ये ज्ञान हासिल किया था। रामकृष्ण परमहंस जी के जीवन से कई सारी कथाएं जुड़ी हुई हैं और इन्हीं कथाओं में से एक कथा इस प्रकार है-
रामकृष्ण परमहंस जी और एक लकड़हारा
एक प्रसंग के अनुसार एक बार रामकृष्ण परमहंस जी ध्यान लगा रहे थे तभी उनके पास एक बेहद ही गरीब लकड़हारा आता है और ये लकड़हारा रामकृष्ण परमहंस से कहता है कि वो काफी दुखी है। वो लकड़ी काटने का काम करता है लेकिन उसे इस काम से बेहद ही कम पैसे मिलते हैं। जिसकी वजह से वो अपने परिवार वालों की जरूरतों को पूरा करने में असफल रहे जाता है। रामकृष्ण परमहंस पूरे ध्यान से लकड़हारे की बातों को सुनते है। जैसे ही लकड़हारा अपनी बात कहकर चुप होता है। रामकृष्ण परमहंस जी उससे कहते हैं कि तुम लकड़ी कहां काटते हो? लकड़हारा रामकृष्ण परमहंस जी को जवाब देते हुए कहता है कि मैं रोज जंगल में जाकर वहां के पेड़ों की लकड़ियों को काटता हूं। रामकृष्ण परमहंस जी लकड़हारे से कहते हैं कि थोड़ा और आगे बढ़ो।
रामकृष्ण परमहंस की बात को मानते हुए लकड़हारा अगले दिन जंगल में लकड़ी काटने के लिए थोड़ा और आगे चले जाता है। आगे जाकर लकड़हारे को एक चंदन का पेड़ दिखता है। चंदन के पेड़ को देख लकड़हारा काफी खुश हो जाता है और इस पेड़ को तुरंत काट लेते हैं। पेड़ को काटने के बाद लकड़हारा इसे बेच देता है और उसे काफी पैसे मिलते हैं। ये लकड़हारा फिर से रामकृष्ण परमहंस जी के पास जाता है और रामकृष्ण परमहंस जी इसे और आगे बढ़ने को कहते हैं।
रामकृष्ण परमहंस की बात को मानते हुए ये लकड़हारा अगले दिन जंगल में थोड़ी और आगे बढ़ जाता है और आगे इसे एक गुफा दिखती है और उस गुफा के पास बहुत सारे चंदन के पेड़ लगे होते हैं। ये लकड़हारा इतने सारे पेड़ों को देखकर खुश हो जाता है और अगले दिन रामकृष्ण परमहंस जी के पास जाकर उनका धन्यवाद करता है।
लकड़हारे को रामकृष्ण परमहंस जी और आगे बढ़ने को कहते हैं। जिसके बाद ये लकड़हारा अगले दिन उस गुफा के अंदर चले जाता है और उस गुफा के अंदर इसे खूब सारा सोना मिल जाता है। ये लकड़हारा भाग-भाग रामकृष्ण परमहंस जी के पास आता है और उनको बताता है कि उसे खूब सारा सोना मिला है। रामकृष्ण परमहंस जी लकड़हारे की बात सुनकर उस कहते हैं कि ये सब तो तुम्हारे सांसारिक जीवन के लिए था। अब इसी तरह से भक्ति और कर्म के मार्ग पर भी आग बढ़ते जाओ। ऐसा करने से तुम्हारा जीवन सफल हो जाएगा। रामकृष्ण परमहंस जी की बात को ये लकड़हारा मान लेते है और उनको अपना गुरू बना लेता है।
रामकृष्ण जी के इस प्रसंग से हमे ये सीख मिलती है कि जीवन में आप जो भी काम करते हो उसमें हमेशा आगे बढ़ते रहो। ज्ञान, कर्म, भक्ति और प्रेम के मार्ग पर बढ़ते रहने से ही इंसान को सफलता मिलती है।