जानिए क्यों पूजा के लिए सुबह का समय ही माना गया है सबसे सर्वश्रेष्ठ ?
पूजा करने के लिए सबसे उत्तम समय सुबह का होता है और ऐसा कहा जाता है कि सुबह के समय की गई पूजा सफल रहती है। हमारे शास्त्रों के अनुसार प्रातकाल भगवान का नाम लेना सर्वश्रेष्ठ होता है और ब्रह्म मुहूर्त के दौरान ईश्वर की आराधना जरूर करनी चाहिए। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर क्यों सुबह के समय को ही पूजा करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है?
जानिए क्यों सुबह पूजा करना होता है सबसे शुभ
सुबह के समय मन होता है शांत-
सुबह के समय लोगों का मन और दिमाग एकदम शांत होता है। इसलिए सुबह के समय जब आप भगवान का नाम लेते हैं तो आपका पूरा ध्यान भगवान की भक्ती में ही लीन होता है और आप सच्चे मन से पूजा कर पाते हैं।
नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है-
सुबह के समय नकारात्मक ऊर्जा काफी कम होती है और वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहता है। वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा होने से आपका ध्यान पूजा में अधिक लग पाता है और साथ में ही सुबह आपको पूजा करने के लिए एक शुद्ध वातावरण भी मिल जाता है।
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद-
सुबह के समय सूरज से निकलने वाली किरणों को सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है। जब आप सुबह के वक्त सूरज भगवान को अर्घ्य देते हैं तो सूरज से निकलने वाली किरणें आपके शरीर को कई तरह के लाभ पहुंचती हैं और आपकी रक्षा कई सारी बीमारियों से हो जाती है। इसलिए कहा जाता है कि आप सुबह जितनी जल्द हो सके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया करें।
भगवान की शक्तियां जागृत होती हैं
ब्रह्म मुहूर्त के दौरान पूजा करने से पूजा सफल मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त के दौरान सभी भगवानों की शक्तियां जागृत हो जाती हैं और इस दौरान पूजा करने से भगवान आपकी हर मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं।
कब शुरू होता है ब्रह्म मुहूर्त
पूरे दिन में यानी 24 घंटे में कुल 30 मुहूर्त होते हैं। इन्हीं 30 मुहूर्त में से एक मुहूर्त को ब्रह्म मुहूर्त के नाम से जाना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह का समय होता है और ये मुहूर्त प्रात: 4.24 से लेकर 5.12 तक का होता है। इस मुहूर्त को सभी मुहूर्तों में से सबसे शुभ माना गया है और यहीं कारण ही कि इस मुहूर्त के दौरान ही भगवान की पूजा की जाती है। पूजा के अलावा कई बार शुभ कार्यों को भी इसी मुहूर्त के दौरान ही किया जाता है।
रखें इस बात का ध्यान
अगर आप अपने पितरों से जुड़ी कोई पूजा करते हैं तो उस पूजा को आप सुबह के समय ना करें। क्योंकि पितरों की पूजा के लिए दोपहर का समय सबसे सही माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि 12 बजे से 4 बजे के बीच ही पितरों की पूजा करने से इस पूजा का लाभ आपको मिलता है। हालांकि आप इस बात का भी ध्यान रखें कि दोपहार के समय आप पितरों की पूजा के अलावा कोई और पूजा ना करें और ना ही किसी शुभ काम को करें। क्योंकि दोपहर के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है।