अमरनाथ गुफा में प्रकट हो गए हैं बाबा बर्फानी, जुलाई महीने से शुरू हो जाएगी अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ की गुफा में बाबा बर्फानी प्रकट हो चुके हैं और जल्द ही इस साल की अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार ये यात्रा 46 दिनों की होगी और इसकी शुरुआत 1 जुलाई से होगी। ये यात्रा अनंतनाग जिले के पारंपरिक पहलगाम मार्ग और गंदेरबल जिले के बालटाल मार्ग से शुरू होगी और 15 अगस्त तक चलेगी। जो लोग इस यात्रा में जाना चाहते हैं उनका रजिस्ट्रेशन एक अप्रैल से शुरू हो जाएगा और इस यात्रा का पंजीकरण 100 रुपये में होगा। इस यात्रा के पंजीकरण से जुड़ा फॉर्म लोग पंजाब नेशनल बैंक से ले सकते।
अमरनाथ गुफा की सुरक्षा को लेकर की जा रही हैं तैयारियां
अमरनाथ यात्रा को लेकर कई सारे पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं और जम्मू-कश्मीर की नियंत्रण रेखा की अंतरराष्ट्रीय सीमा के आस-पास की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। अमरनाथ यात्रा में आनेवाले यात्रियों की सुरक्षा को लेकर पुलिस और सेना समय समय पर मीटिंग कर रही हैं ताकि यात्रियों की सुरक्षा में किसी भी तरह की चुक ना हो सके।
अमरनाथ गुफा से जुड़ी कथा
अमरनाथ गुफा में हर साल बर्फ का शिवलिंग बनता है और इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पूरे भारत से लोग जम्मू-कश्मीर आते हैं। अमरनाथ गुफा में बनने वाले बर्फ के इस शिवलिंग से एक कथा जुड़ी हुई है और इस कथा के अनुसार इस जगह पर ही शिव जी ने पार्वती मां को अमर रहने की कथा सुनाई थी। कहा जाता है कि पार्वती मां के कहने पर शिव जी उनको अमर रहने की कथा सुनाने के लिए तैयार हो गए थे और शिव जी ने इस कथा को सुनाने के लिए अमरनाथ गुफा को चुना ताकि ये कथा कोई इंसान और जीवजंतु ना सुन सके।
शिव जी ने अमरनाथ गुफा में जैसे ही इस कथा को सुनाना शुरू किया तो पार्वती मां सो गई। मगर शिव जी को लगा की पार्वती मां ये कथा सुन रही हैं। जिस समय शिव जी ये कथा सुना रहे थे उस समय गुफा में दो कबूतर भी मौजूद थे और इन कबूतरों ने इस कथा को सुन लिया। जैसे ही ये कथा खत्म हुई तो शिव जी की नजर पार्वती मां पर गई और उन्होंने देखा की पार्वती मां नींद में हैं। शिव जी समझ गए ही पार्वती मां इस कथा को पूरा नहीं सुना पाई हैं। इसी दौरान शिव जी की नजर गुफा में बैठे दोनों कबूतरों पर पड़ गई और इन कबूतरों को देखकर शिव जी को क्रोध आ गया। क्योंकि इन दोनों कबूतरों ने अमर होने की कथा को सुन लिया था।
क्रोध में आकर शिव जी इन कबूतरों को मारने के लिए आगे बढ़े लेकिन तभी इन कबूतरों ने शिव जी से कहा कि हमने अमर होने की पूरी कथा सुन ली है और अगर आप हमें मार देते हैं तो ये कथा झूठी हो जाएगी। कबूतरों की ये बात सुनकर शिव जी का गुस्सा शांत हो गया और उन्हें कबूतरों को आशीर्वाद दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक में रहोगे।
आज भी जब भक्त लोग इस गुफा में जाते हैं तो उन्हें ये दोनों कबूतर इस गुफा में जरूर दिखाई देते हैं और ऐसा कहा जाता है कि इन कबूतरों के दर्शन से ये यात्रा सफल हो जाती है।