दुल्हे की नाक खीचने से लेकर कुत्ते संग ब्याह तक,ये हैं भारत की 12 सबसे अजीबोगरीब शादी की रस्में
शादी एक ऐसी चीज हैं जिसमे कई सारी रस्मे और रिवाजों को अंजाम दिया जाता हैं. हर समाज, धर्म और स्थान पर शादी के दौरान अलग अलग रीती रिवाजों को निभाया जाता हैं. ऐसे में कई बार कुछ रस्मे बाहर के लोगो को थोड़ी अजीब सी लग सकती हैं. लेकिन ये जहाँ निभाई जाती हैं वहां इसका अपना अलग और विशेष महत्व होता हैं. ऐसे में आज हम आपको देश के विभिन्न हिस्सों में निभाई जाने वाली शादी की अजीब रस्मों से रूबरू कराने जा रहे हैं. इनमे से कुछ तो इतनी ज्यादा हैरत कर देने वाली रस्म हैं कि आपका भी दिमाग चकरा जाएगा.
माँ अपने बेटे या बेटी की शादी अटेंड नहीं कर सकती: कई बंगाली शादियों में ये परंपरा होती हैं कि बेटे या बेटी की शादी के दौरान उसकी माँ को वहां उपस्थित नहीं होना चाहिए. ऐसी मान्यता हैं कि इससे उनकी शादी शुदा जिंदगी में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता हैं.
यहाँ टमाटर से होता हैं बारात का स्वागात: उत्तर प्रदेश के सरसौल गाँव में एक जनजाति शादी के दौरान आई बरात का स्वागत आरती की थाली से नहीं बल्कि उनके ऊपर टमाटर फेंक कर करती हैं. ऐसा कर वे दुल्हे का धीरज चेक करते हैं ताकि आने वाले भविष्य में वे शादी में आने वाली मुसीबतों को भी इस तरह झेल सके और कपल्स के बीच हर स्थिति में प्यार बना रहे.
मरोड़ा जाता हैं दुल्हे का कान: महाराष्ट्र के मराठियों की अधिकतर शादी में दुल्हन का भाई दुल्हे का कान मरोड़ता हैं. ये एक संकेत होता हैं कि यदि उसने दुल्हन का ख्याल नहीं रखा तो उसके साथ ऐसा ही होगा.
तालाब में छोड़ते हैं मछली: मणिपुरी में होने वाली शादियों में दुल्हा दुल्हन के द्वारा तालाब या नदी में मछली छोड़ने का रिवाज हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि इससे बुरी शक्तियाँ दूर भागती हैं और ये मछली दोनों कपल्स का भाग्य तय करती हैं.
सिर मटका रख बनाना होता हैं बेलेंस: बिहार की कुछ शादियों में रिवाज हैं कि घर में प्रवेश करने के पहले दूल्हा दुल्हन को सिर पर मटकी रख अंदर प्रवेश करना होता हैं. इतना ही नहीं इस दौरान उन्हें बुजुर्गों के पैर छू आशीर्वाद भी लेना होता हैं और ऐसा करते समय मटकी गिरनी भी नहीं चाहिए.
होते हैं तीन फेरे: शादी में सात फेरे लेना अनिवार्य होता हैं, लेकिन मलयाली शादी में सिर्फ तीन फेरे लेने का ही रिवाज हैं.
पेड़ या कुत्ते से शादी: कई जगह मांगलिक लड़कियों को अपना दोष दूर करने के लिए दुल्हे से पूर्व कुत्ते या पेड़ से शादी रचाना होती हैं.
सिर्फ माला: आसाम की राभा जनजाति में सिर्फ एक ही रिवाज होता हैं ‘माला पहनाना.’ ऐसा करते ही दूल्हा दुल्हन पति पत्नी बन जाते हैं.
दुल्हे की नाक खीचना: गुजराती शादियों में दुल्हे की सांस उसकी नाक खिचती हैं. ये आरती के बाद मजाकिया रूप में किया जाता हैं जो ये दर्शाता हैं कि दूल्हा विनम्र स्वाभाव का हैं.
दुल्हे के पैर धोना: गुजराती समाज में मधुपर्खा नाम की एक रस्म होती हैं जिसमे दुल्हन के पिता दूध, शहद और घी से दुल्हे के पैर धोते हैं.
तेल दिया: आसामी शादी में तेल दिया की रस्म होती हैं जिसमे दुल्हन की साँस अपनी बहू के सिर पर अंगूठी और पान का पत्ता रखती हैं. इसके बाद तीन बार सिर पर तेल डाला जाता हैं. इस रस्म के पश्चात ही दूल्हा दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता हैं.
पैर बांधना: सिन्धी शादी में सांठ नाम कि एक रस्म हैं जिसमे दूल्हा दुल्हन के पैर की एड़िया बाँध दी जाती हैं. इसे बाद महिलाएं इनके सिर के ऊपर तेल डालती हैं. बाद में इन्हें अपने सीधे पाँव से मटकी फोड़ना होती हैं और नए जुते पहनने होते हैं. ये एक अच्छा सौभाग्य लाता हैं.