दूसरों पर निर्भर रहने वाले व्यक्ति का जीवन हो जाता है बर्बाद, दुर्योधन ने भी की थी ये गलती
महाभारत युद्ध की शुरुआत शकुनि की वजह से हुई थी। शकुनि ने भीष्म पितामह के वंश को खत्म करने की कसम खा रखी थी और वो अपने इसी मकसद को पूरा करने के लिए हस्तिनापुर आया था। महाभारत के अनुसार भीष्म ने धृतराष्ट्र के साथ शकुनि की बहन गांधारी का विवाह जबरदस्ती करवाया था। विवाह होने के बाद धृतराष्ट्र ने गांधारी के पिता, माता और दोनों भाइयों को जेल में डाल दिया था। जेल में इन सभी को केवल एक ही व्यक्ति का खाना दिया जाता था। जिसकी वजह से गांधारी के पिता, माता और बड़ा भाई ये सारा खाना शकुनि को खाने के लिए दे दिया करते थे। ताकि वो जीवित रहे सके। धीरे-धीरे करके जेल में शकुनि के पिता, माता और बड़े भाई की मौत हो गई। वहीं गांधारी के पिता ने मरने से पहले धृतराष्ट्र से माफी मांगते हुए अपने छोटे बेटे शकुनि को जेल से रिहा करने की विनीत की। इस विनीत को धृतराष्ट्र ने मान लिया था और धृतराष्ट्र ने शकुनि को जेल से रिहा कर दिया था। जेल से रिहा होने के बाद शकुनि ने अपनी बहन के साथ ही रहने का फैसला लिया और ये हस्तिनापुर में रहने लगा ताकि ये हस्तिनापुर को पूरी तरह से बर्बाद कर सके।
जीता कौरवों का विश्वास
शकुनि अपने परिवार वालों की मौत का बदला हस्तिनापुर से लेना चाहता था और अपने इसी बदले को पूरा करने के लिए उसने अपनी बहन के बच्चों का सहारा लिया। शकुनि ने अपनी बहन गांधारी के बच्चों यानी 100 कौरवों का विश्वास जीत लिया और हस्तिनापुर में अपनी बहन के बच्चों का राज कायम करने में लग गया। शकुनि की मदद से ही गांधारी का सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन शतरंज में पांडवों से जीत सका और उनको हस्तिनापुर से बाहर निकाल सका।
पूरी तरह से अपने मामा शकुनि पर निर्भर था दुर्योधन
दुर्योधन केवल अपने मामा शकुनि की ही बात मानता था और हर चीज के लिए शकुनि पर ही निर्भर रहा करता था। शकुनि ने हस्तिनापुर को बर्बाद करने के लिए दुर्योधन के दिमाग में उसके भाइयों के खिलाफ ही जहर भर दिया था। अगर दुर्योधन अपनी बुद्धि से काम लेता तो महाभारत का युद्ध नहीं होता। शकुनि की बातों में आकर दुर्योधन ने पांडवों से युद्ध किया और इस युद्ध में अपना सब कुछ हार गया। दुर्योधन को लगता था कि शकुनि उसे राजा बनाना चाहता है लेकिन असलियत में शुकनि जितनी नफरत पांडवों से करता था उतनी ही नफरत कौरवों से भी किया करता था। शुकनि की इसी नफरत ने दुर्योधन का जीवन पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
हमेशा अपने दिमाग से काम करें
दुर्योधन ने जो गलती अपने जीवन में की थी उस गलती को आप लोग करने से बचें और अपने जीवन में कभी भी दूसरे व्यक्तियों की सलाह को ना मानें। केवल अपने दिमाग से ही काम लें। क्योंकि कई बार लोग आपको शकुनि की तरह गलत सलाह देकर आपके जीवन को तबाह कर सकते हैं और अपने मकसद को पूरा करने के लिए आपका इस्तेमाल कर सकते हैं ।