जब अपने प्राण पर संकट देखकर गुफा में छिप गए थे भोलेनाथ , कर दी थी ये गलती
भगवान शिव को भोलेनाथ इसलिए कहा गया क्योंकि वो बड़े ही आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और उनसे अपनी बात मनवाना बहुत ही आसान है। देवता हों या फिर राक्षस या फिर कोई साधारण मनुष्य अगर भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया फिर भी कुछ भी मुश्किल नहीं है। वह भी अपने भक्तों के साथ कोई भेदभाव नहीं करते हैं। वह अपने भक्तों के प्राण की रक्षा भी करते हैं, लेकिन उनके जीवन में एक समय ऐसा आ गया था जब उन्हें अपने ही प्राणों की रक्षा करनी पड़ी थी।आपको अगर इस कहानी के बारे में नहीं पता है तो बताते हैं कि किस कारण से भगवान शिव को ऐसा करना पड़ा था।
भस्मासुर ने शिवजी को कर लिया प्रसन्न
पुराण की एक था का अनुसार एक बड़ा ही भंयकर राक्षस था भस्मासुर। वो राक्षस दुनिया का सबसे ताकतवर राक्षस बनना चाहता था और उसकी इच्छा थी की वो देवताओं के साथ साथ मनुष्यों पर भी शासन कर सके। अपने इस इच्छा की पूर्ति के लिए उसने शिव जी की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या में थोड़ा वक्त तो लगा, लेकिन उसकी लगन देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उसके सामने प्रकट हो गए।
ॉअपने सामने महादेव को देखकर भस्मासुर उनके सामने नतमस्तक हो गया। उसने महादेव को प्रणाम किया और तब महादेव ने पूछा कि किस कारण से तुमने मुझे याद किया है और तुम्हें क्या चाहिए। भस्मासुर ने सबसे पहले महादेव से अमरत्व का वरदान मांग लिया। भगवान शिव ने अमरत्व का वरदान देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि जो भी इस संसार में आया है उसे एक दिन जाना है इसलिए अमरत्व का वरदान तो तुम्हें नहीं मिल सकता। तब भस्मासुर ने अपनी मांग बदलकर एक और वरदान मांगा की वो जिसपर भी हाथ रखे वो जलकर भस्म हो जाए।
ऐसे किया विष्णु जी ने भस्मासुर का वध
भगवान शिव ने उसे वरदान दे दिया। ये वरदान पाते ही भस्मासुर सबसे पहले शिव जी पर ही इसे अपनाने के लिए आतुर हो गया। महादेव अपना दिया वरदान वापस नहीं ले सकते थे ऐसे में अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भटकने लगे। किसी तरह भगवान शिव ने अपनी जान बचाई तो विष्णु जो को सारी बात बता दी।
भगवान विष्णु ने सारी बात सुनी और भस्मासुर का अंत करने के लिए उन्होंने मोहिनी रुप धारण कर लिया। भस्मासुर की नजर मोहिनी रुप पर पड़ी तो उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। भस्मासुर को किसी भी बात का ध्यान ना रहा। उसका पूरा ध्यान सिर्फ मोहिनी पर आ टिका था। भस्मासुर ने खूबसूरत स्त्री से पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है? इस पर स्त्री ने बताया की वो मोहिनी है। मोहिनी को देखकर भस्मासुर उसकी खूबसूरती में खो गया। मोहनी ने कहा कि वो नर्तकी है और विवाह उसी से करेगी जिसे नृत्य करना आता हो।
भस्मासुर ने उससे कहा कि उसे नृत्य करना तो नहीं आता अगर वो सीखा दे तो सीख लेगा। मोहिनी ने कहा ठीक है मैं तुम्हें नृत्य करना सीखाऊंगी। ऐसे करके वो उसे नृत्य करना सीखाने लगी। प्रेम आकर्षण में डूबा हुआ भस्मासुर भूल गया कि उसे क्या वरदान मिला है। नृत्य करते हुए मोहिनी ने जैसे ही अपने सिर पर हाथ रखा भस्मासुर ने भी अपने सिर पर हाथ रख लिया। इस करह से भस्मासुर का अंत हुआ।
यह भी पढ़ें