व्हाट्सएप का यह ग्रुप इस गरीब परिवार के लिए बना भगवान, खुशियों से भर दी बेटी की झोली
ये जमाना सोशल मीडिया का है और यही वजह है कि आज के समय में हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन आ गया है और सभी लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव हो चुके हैं इसमें कहीं न कहीं रिलायंस जियो का भी काफी योगदान है क्योंकि इतने कम पैसे में इंटरनेट उपलब्ध कराने का उद्देश्य यही था कि वो हर किसी के हाथ में पहुंच सके और मध्यम परिवार के लोग भी इसका लाभ उठा सके। आज हमारे समाज में एक ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला है जो कि यूपी के फतेहपुर जिले के किशनपुर का है जहां एक व्हाट्सएप ग्रुप ने एक गरीब परिवार के झोली में खुशियां भर दी। दरअसल आपको बता दें कि कस्बा से संचालित यमुनांचल नाम से ग्रुप से जुड़े सदस्यों ने गरीब परिवार के बेटी की शादी में सहयोग का प्रचार किया, जिसकी वजह से उस बच्ची की शादी अच्छे से हो गई।
व्हाट्सएप ग्रुप ने की बड़ी मदद
इसके बाद जैसे-जैसे लोगों को इस गरीब परिवार के बारे में जैसे पता चला, तो लोग खुद पर खुद उसकी मदद को आगे बढ़ आएं और तो और लोगों ने उस बच्ची की शादी में किसी ने खाने की व्यवस्था तो किसी ने उपहार देने का संकल्प लिया। बता दें कि किशनपुर नगर पंचायत में रहने वाली माया रैदास के पति की मौत कई साल पहले हो गई है। उनकी पुत्री निशा देवी की शादी 21 अप्रैल को होनी थी लेकिन हुआ यूं कि गरीबी के कारण वो बारातियों के खाने पीने व शादी में उपहार की व्यवस्था को लेकर गरीब महिला परेशान थी। यह खबर किशनपुर के यमुनांचल ग्रुप के सदस्यों को सुनने को मिली। बता दें कि इस परिवार की बेबसी के बारे में ग्रुप के लोगों को बताया और सहयोग की अपेक्षा को लेकर प्रचार किया। जिसकी शुरूआत ग्रुप के सदस्य व कस्बा निवासी कल्लू अग्रवाल ने की, फिर क्या था ये मैसेज धीरे-धीरे ग्रुप के अलावा अन्य जगहों पर भी वायरल हो गया।
आपको बताते चलें कि उस नगर के समाज सेवी व अन्य लोग गरीब परिवार के घर जाकर सहयोग करने का आश्वासन दिया और फिर धीरे धीरे ये ग्रुप का मैसेज बढ़ता गया फिर सभी लोगों ने गरीब के बेटी की शादी धूमधाम से कराने की योजना बनाई। इस मैसेज के बाद 21 अप्रैल को नगर पंचायत के लोगों ने मिलकर हमारे समाज के लिए मिसाल पेश की और सहयोग के तौर पर जिस से जो बन पड़ा वो हर किसी ने सहयोग किया। ग्रुप से जुड़े सदस्य, समाज सेवी, पुलिस कर्मियों ने शादी में सहयोग किया। बरात के स्वागत से लेकर खाने पीने की व्यवस्था और शगुन के सामान का खर्च यमुनांचल ग्रुप के सदस्यों ने लिया।
21 अप्रैल को बारात आई, शादी हुई और सोमवार को विदाई हुई, खुशी खुशी ये कार्यक्रम संपन्न हुआ और आज के समय में एक उदाहरण भी पूरे देश को मिला की कोई भी बेटी हो उसकी शादी की जिम्मेदारी का बोझ उसके माता पिता ही नहीं बल्कि समाज पर भी होता है इसलिए अगर सभी मिलकर ऐसे ही बेटियों का मान रखें तो कभी बेटी बोझ नहीं समझी जाएगी।