इस पराक्रमी योद्धा ने महाभारत के युद्ध में सबसे बलशाली भीम को भी दी थी मात
हिन्दू धर्म के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत की कथा और इसके सबसी पत्रों के बारे में तो आपा भली भांति अवगत होंगे ही, साथ ही यह भी जानते होंगे की महाभारत का युद्ध कितना ज्यादा भयंकर था और इस युद्ध में एक से बढ़कर एक महा शक्तिशाली और पराक्रमी योद्धा थे जो इस महायुद्ध में अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए अपने दुश्मन को पराजित किए और कई शहीद भी हो गए। बता दें की महाभारत के युद्ध का परिणाम बहुत ही भयंकर था और जैसा की हम सभी जानते हैं इस युद्ध में पांडवों की विजय हुई थी। हालांकि ना सिर्फ पांडव बल्कि कौरव भी काफी ज्यादा शक्तिशाली और कई तरह की प्रतिभाओं से लैस थे मगर जैसा की हमेशा से होता आया है इंसान हो या भगवान उसने नाश या विनाश का कारण उसका अंहकार ही होता है और इस युद्ध में भी ऐसा ही हुआ था। कौरवों के अहंकार और दृष्टता की वजह से यह महायुद्ध हुआ और परिणाम स्वरूप समस्त कौरव वंश का नाश हो गया।
खैर आज हम आपको बताने जा रहे है महाभारत के पूरे युद्ध के दौरान उस महाशक्तिशाली योद्धा के बारे में जिसने इस महाकाव्य के सबसे ताकतवर योद्धा माने जाने वाले भीम को भी हराया था और वो भी एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे तीन बार। जी हाँ, आपको शायद यह सुनकर यकीन नहीं हो रहा होगा मगर यह सत्य है और ऐसा कारनामा किसी और ने नहीं बल्कि पराक्रमी योद्धा और धनुर्धर कर्ण ने किया था। आपको बता दें की महाभारत के युद्ध के दौरान सबसे शक्तिशाली भीम ने कर्ण को ललकारा था और उस दौरान कर्ण ने भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए भीम को पराजित कर दिया।
महाभारत का परिणाम था विध्वंसकारी
यह भी बता दें की कर्ण ने ऐसा एक बार नहीं बल्कि पूरे तीन बार भीम को पराजित किया मगर उन्हे मारा नहीं और हर बार उन्हे जीवनदान देते हुए छोड़ दिया। आप सोच रहे होंगे की जब करने ने भीम जैसे महाबलशाली को 3-3 बार पराजित किया तो उन्हे जीवित क्यों छोड़ दिया तो आपको बता दें की कर्ण जब महाभारत का युद्ध लड़ रहा था तो उस दौरान माता कुंती जो की खुद कर्ण की माता थी उन्होने कर्ण से वचन ले लिया था कि कैसी भी परिस्थिति हो जाए मगर वो कभी भी अपने भाइयों को नहीं मारेगा।
कर्ण ने भी कुंती को यह वचन दे दिया था मगर उसने यह कहा था कि वह कुंती के चार पुत्रों को हमेशा जीवन दान देगा। यही वजह है की महाभारत के युद्ध के दौरान भीम जैसे शक्तिशाली योद्धा को भी उसने आसानी से पराजित कर देने के बाद भी उन्हे जीवनदान दे दिया था। हालांकि बार बार कर्ण से हारने के बाद भीम काफी ज्यादा आग बबूला हो गए थे और तब उन्होने खुद अपने भाई अर्जुन के पास जा कर उनसे वचन लिया की वो जल्दी से जल्दी कर्ण की जीवन लीला समाप्त करें जिसके बाद अर्जुन ने अगले 3 दिनों के युद्ध में अपने सबसे पड़े प्रतिद्वंदी को समाप्त कर दिया जिसके बाद महाभारत का पूरा युद्ध ही तकरीबन समाप्त हो चला था।