जब मैदान पर गूंजता था सिर्फ एक नाम सचिन….सचिन! ऐसे कहलाए सचिन गॉड ऑफ क्रिकेट
जाके देख रिकॉर्ड में भगवान है कि इंसान है….. ये डॉयलाग तो है वेब सीरिज सेक्रेड गेम्स का पर इसका इस्तेमाल हमेशा से क्रिकेट के भगवान सचिन के लिए किया गया। सचिन तेंदुलकर एक ऐसा नाम है जो करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों की धड़कन बढ़ा देता है। सचिन का नाम सुनते ही क्रिकेट, बैट, छक्के, चौके, दीवानापन, इंडिया, क्रिकेट का भगवान तमाम ऐसी चीजें दिमाग में चलने लगती हैं। यह केवल एक नाम नहीं है बल्कि क्रिकेटप्रेमियों के लिए एक भावना है एक ऐसी भावना जिसे क्रिकेट प्रेमी खुद को सबसे करीब मानते हैं। जब भी सचिन बल्लेबाजी के लिए मैदान में उतरते थें पूरे मैदान में केवल एक ही आवाज गूंजती थी और वो थी सचिन….सचिन…। सचिन के लिए दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भी सचिन खेल के बीच आउट हो जाते थें ज्यादातर घरों के टीवीसेट लोग बंद कर देते थें।
ऐसे बने क्रिकेट के भगवान सचिन
क्रिकेट जगत के भगवान माने जाने वाले सचिन को मास्टर ब्लास्टर और लिटिल मास्टर के नाम से जाना जाता था। 1989 से 2013 के 24 सालों के लंबे और गोल्डन पिरियड में मानों सचिन ने भारतीय क्रिकेट की कहानी अपने ईर्द-गिर्द लिख डाली या यूं कहें पूरा भारतीय क्रिकेट सचिन के रंग में बस रंगता चला गया। किसी ने कभी भी नहीं सोचा था कि 5.4 फीट जैसे मध्यम कद का घुंघराले बालों वाला यह लड़का कभी क्रिकेट की दुनिया में इतना नाम कमाएगा कि भारत में क्रिकेट का दूसरा नाम कहा जाएगा।
आज क्रिकेट जगत के भगवान, शंहशाह सचिन तेंदुलकर का 46 वां जन्मदिन है। वैसे तो क्रिकेट को सचिन ने 9 साल पहले ही अलविदा कह दिया था लेकिन क्रिकेट प्रेमियों के दिल में सचिन को लेकर आज भी ऐसी दीवानगी है मानों सचिन आज भी अपने बल्ले के साथ मैदान में डटे हों। सचिन के जन्मदिन के मौके पर बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी ऐसी रोमांचक बातें जो सचिन को क्रिकेट का भगवान बनाती हैं…
सचिन के पिता चाहते थें सचिन एक अच्छे इंसान बनें
सचिन की बायोपिक ‘ए बिलियन ड्रीम’ तो जरूर याद होगी उस फिल्म के शुरुआत में ही सचिन ने खुद बताया था कि इनके पिता उनसे कहते थें कि तुमने क्रिकेट को चुना है लेकिन जो बात हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी वह यह है कि तुम इंसान कैसे हो। इसलिए अगर तुम एक बेहतर इंसान बनते हो तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। जहां दूसरे की बायोपिक में कोई दूसरा कलाकार काम करता है वहां उनकी बायोपिक में सिर्फ वही थे क्योंकि कोई और दूसरा सचिन बनने की कोशिश भी नहीं कर सकता।
बहन सविता सचिन के लिए लाई थी पहला बैट
बचपन से ही सचिन क्रिकेट के दिवाने हो गए थें। उनकी दीवानगी को देखते हुए सचिन की बड़ी बहन सविता कश्मीर से उनके लिए क्रिकेट बैट लेकर आई थीं। जिसे देखकर सचिन फूले नहीं समाए थें।
क्रिकेट का भगवान बनाने में कोच आचरेकर की रही अहम भुमिका
सचिन के पहले क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर ने बहुत पहले ही सचिन के अंदर की प्रतिभा को समझ लिया था और वे जान गए थें कि सचिन आगे चलकर एक महान बल्लेबाज बनेगा। जब सचिन के बड़े भाई अजीत उन्हें पहली बार कोच आचरेकर के पास लेकर गए थें तो सचिन उन्हें देखकर नर्वस हो गएं और बल्ले से कोई कमाल नहीं दिखा पाए।जब आचरेकर सर थोड़ी देर के लिए नेट से दूर जाते हैं तब कहीं जाकर सचिन के बल्ले से रंनों की बौछार होती है।
वर्ल्डकप के दौरान मिली थी पिता के निधन की खबर
साल 1999 के वर्ल्डकप के दैरान जिम्बाबे के खिलाफ मैच से पहले रात 2 बजे सचिन को पिता के निधन की खबर मिलती है।जिसके बाद सचिन सीधे मुंबई लौट जाते हैं लेकिन अंतिम संस्कार कर घरवालों की सलाह पर सचिन खेल में वापस आ जाते हैं। यही वो बात है जो साबित करती है कि सचिन सच में एक महान क्रिकेटर हैं जिनका धर्म ही क्रिकेट है।
सचिन- अंजली की प्यारी-सी लव स्टोरी
भारतीय टीम जब 1990 में इंग्लैंड दौरे से वापस आ रही थी, जिसमें सचिन भारत के सबसे कम उम्र से शतक लगाने वाले बल्लेबाज बन गए थें। उसी समय एयरपोर्ट पर अंजली भी अपनी मां को रिसीव करने आई थीं और तभी उन्होंने सचिन को देखा और उन्हें पसंद करने लगीं और इस तरह से दोनों की लव स्टोरी शुरु हुई। आज सचिन और अंजलि को दोनों बच्चे यंग हो चुके हैं और उनकी बेटी सारा की खूबसूरती की तुलना तो बॉलीवु की हीरोइनों से की जाती है।
सचिन सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि अपने आप में एक धर्म हैं जिसे हर खिलाड़ी प्रेरित होता है। यूं तो सचिन की कामयाबी औऱ उपलब्धियों की लिस्ट बहुत लंबी हैं, लेकिन ये उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास पहलू थे जिनके बिना सचिन भी अधूरे हैं। सचिन जैसे महान क्रिकेटर हमेशा जन्म नहीं लेते। आज भले ही वो स्टेडियम से दूर अपनी जिंदगी बिता रहे हों, लेकिन आज भी उनके दिल में बसता है ये खेल और करोड़ों दिलों में बसते हैं सचिन और सिर्फ सचिन।
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