अगर इस तरह से तोड़ते हैं तुलसी का पत्ता, तो आप पर जरूर बरसेगी श्रीहरि की कृपा
ये तो आप भी जानते होंगे कि हमारे हिंदू धर्म में पूजा पाठ का कितना ज्यादा महत्व है और ये भी सच है कि पूजा पाठ के दौरान कई बातें ऐसी है जिसका ध्यान रखना भी उतना ही आवश्यक होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तुलसी के बारे में जिसका प्रयोग पूजा में विशेष रूप से किया जाता है। शास्त्रों में माना गया है कि तुलसी की पूजा से परिवार को सुख सौभाग्य की प्राप्ति के साथ ही भगवान विष्णु की कृपा मिलती है इसीलिए हर वैष्णव व गृहस्थ के घर में तुलसी का पौधा अवश्य होता है।
इतना ही नहीं बता दें कि भगवान विष्णु को तुलसी दल अत्यंत प्रिय है इसलिए अक्सर उनकी पूजा व शुभ कार्यों में तुलसी दल चढ़ाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी जी का पत्ता अत्यंत जरुरी है। इसके बिना श्री हरि विष्णु भोग स्वीकार नही करते है। उनके ही रूप शालिग्राम जी के साथ तुलसी जी का विवाह देव उठनी एकादशी पर किया जाता है। कहा जाता है कि हिन्दू धर्म में तीन सबसे बड़े देव में विष्णु भगवान को जगत का पालनहार माना गया है और इनकी पूजा से कभी भी सांसारिक चीजों में कमी नहीं आती है।
सबसे पहले तो आपकी जानकारी के लिए ये बता दें कि तुलसी का पौधा 5 प्रकार का होता है:
पहला- श्याम तुलसी, दूसरा-राम तुलसी, तिसरा -विष्णु तुलसी, चौथा- वन तुलसी और पांचवा – नींबू तुलसी। लेकिन आपको ये नहीं पता होगा कि तुलसी का पत्ता जिसका प्रयोग हम पूजन के दौरान करते हैं उसके भी तोड़ने के नियम होते हैं, जी हां ऐसा नहीं आप जब चाहे तब तुलसी जी के पौधे के पास गए और उनके पत्ते तोड़ दिए। हिन्दू धर्म में तुलसी का महत्वपूर्ण है और इसी वजह से इसके साथ जुड़े कुछ मान्यताएं भी हैं जिन्हें अपनाना अत्याधिक जरूरी है। इतना ही नहीं तुलसी के पौधे की हर पत्ति दैवीय है और इसे बिना पूरे धार्मिक नियम के तोड़ना सही नहीं है।
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तो चलिए आज जानते हैं क्या है तुलसी के पत्ते तोड़ने के शास्त्रीय व धार्मिक नियम
भूल से भी कभी रविवार, शुक्रवार, एकादशी, अमावस्या, चौदस तिथि, ग्रहण और द्वादशी को तुलसी का पत्ता नहीं तोडऩा चाहिए ऐसा करना किसी धार्मिक अपराध से कम नहीं माना जाता है। इतना ही नहीं बिना किसी विशेष कारण के तुलसी का पत्ता नहीं तोडऩा चाहिए। इसके अलावा ध्यान रहे कि गलती से भी रविवार और एकादशी को तुलसी जी को जल अर्पण नहीं करना चाहिए।
वहीं ध्यान रहे अगर आप तुलसी का पत्ता तोड़ने जा रहे हैं तो कभी भी उसे नाखून से नहीं तोडऩा चाहिए और तो और तुलसी पत्ते को तोड़ने से पहले ‘मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानंद कारिणी। नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते॥ इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
कभी-कभार तुलसी की पत्तियां सूखकर स्वयं ही गिर जाती हैं ऐसे में गिरे हुए पत्तों का प्रयोग औषधि अथवा अन्य क्रियाओं में करना चाहिए या गिरे हुए पत्तों को मिट्टी में दबा देना चाहिए। इसके अलावा ध्यान रहे अगर पौधा पौधा सूख जाए तो उसे मिट्टी में दबाना चाहिए और उसके स्थान पर दूसरा तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।
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