शिव जी से माफी मांगने के लिए समुद्र में विलीन होता है ये मंदिर, कार्तिकेय ने की थी शिवलिंग की स्थापना
न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: भारत में कई ऐसी जगह और मंदिर हैं जिनका रहस्य कोई आज तक नहीं जान पाया है। काफी पुराने समय से ये मंदिर अपनी रहस्यों को संजोए हुए हैं, लेकिन उनके रहस्य का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने अदंर छुपे रहस्यों की वजह से ना सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी काफी फेमस हैं। फिर चाहे वो हवा में झूलते खंभे वाला रहस्य हो या मंदिर से गुजरने में मरे हुए व्यक्ति में कुछ पल के लिए जान आ जाना हो। हम आपको कई सारे ऐसे रहस्यों से भरे मंदिरों के बारे में बता चुके हैं। और आज हम इस कड़ी में हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे। जो अपने रहस्यों के लिए जाना जाता है।
गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर भी अपनी प्राचीन और रहस्यमीय मंदिरों में से एक है। शिवजी का ये मंदिर अपने रहस्य के कारण पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी विख्यात है। बता दें शिवजी का ये मंदिर दिन में केवल 2 बार ही नजर आता है। और शाम होते ही सूरज की ढ़लते ही यह मंदिर समुद्र में विलीन हो जाता है। और इसके समुद्र में विलीन होने के पीछे की एक वजह है, जिसके बारे में हम अब आपको बताएंगे।
इस मंदिर को लेकर एक पुरानी कहानी मशहूर है। शिव भगवान के बारे में हर कोई जानता है कि वो कितने भोले हैं और अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। और पुराने काल में ताड़कासुर नाम के एक असुर ने अपनी तपस्या से शिवजी को प्रसन्न कर दिया थी। और भगवान शिव से अमर होने का वरदान ले लिया था। लेकिन उसका वध सिर्फ शिव पुत्र ही कर सकता था इसके अलावा ना ही कोई देवता और ना ही कोई असुर उसका वध कर सकता था। इसके अलावा एक और बात थी की शिव जी का पुत्र 6 जन्म के 6 दिन तक ही उसका वध कर सकता था।
ताड़कासुर ने शिवजी से अनर रहने का वरदान मिलते ही उसने तीनों लोकों में अपना आतंक मचा दिया था। उसके आतंक से ना सिर्फ ऋषि मुनी बल्कि देवता और असुर तक उसकी हरतों से परेशान हो गए थे। उसके आतंक से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और ताड़कासुर के आतंक के बारे में बताया और उनसे इस समस्या का हल मांगा, जिससे की ताड़कासुर का वध किया जा सके। जिसके बाद शिव जी ने देवताओं की समस्या हल करने के लिए श्वेत पर्वत कुंड से उत्पन्न हुए 6 दिन के कार्तिकेय से ताड़कासुर का वध करवाया।
ताड़कासुर का वध होने के बाद कार्तिकेय शिव भक्त होने का पता लगा। लेकिन कार्तिकेय को ये बात पसंद नहीं आई और शिवजी का अपमान हो गया। तत्पश्चात भगवान विष्णु ने कार्तिकेय को अपनी गलती का पश्चाताप करने के लिए एक शिवलिंग की स्थापना करने को कहा था और उस शिवलिंग से रोज माफी मांगने को कहा था। कहा जाता है कि इस मंदिर में जो शिवलिंग है उसकी स्थापना कार्तिकेय ने ही की थी। और शिव जी से माफी के लिए ये मंदिर झुंकता है और दिन में सिर्फ 2 बार ही पानी के बाहर निकलता है।