खुद से तैयारी कर पहले प्रयास में पास की UPSC की परीक्षा, हासिल किया 51वां रैंक
शुक्रवार को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा साल 2018 में हुई परीक्षा के नतीजे घोषित किए गए हैं और इस बार इस परीक्षा को कुल 759 अभ्यर्थियों ने पास कर लिया है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा को पास करने वाले विक्रम ग्रेवाल की आयु महज 21 साल की है और ये इस परीक्षा को पास करने वाले सबसे यंग उम्मीदवार हैं। विक्रम ग्रेवाल हरियाणा के निवासी हैं और इनके पास होने की खुशी इनके घर में सबसे ज्यादा इनके दादा ईश्वर सिंह को हैं। दरअसल विक्रम ग्रेवाल के पिता कर्णवीर ग्रेवाल ने साल 1989 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी परीक्षा में टॉप किया था और अब विक्रम ग्रेवाल ने संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा में 51 वां रैंक हासिल किया है। अपने बेटे की तरह ही अपने पोते को अधिकारी बनता देख ईश्वर सिंह बेहद ही खुश हैं।
दादा ने सड़क के बीच लगाया दोस्तों को गले
बताया जा रहा है कि दादा ईश्वर सिंह को जैसे ही पता चला कि उनके पोते विक्रम ग्रेवाल ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा को पास कर लिया है तो उनकी खुशी का कई भी ठिकाना नहीं रहा है और वो बीच सड़क पर इसका जश्न मनाने लगे। अपनी खुशी को ईश्वर सिंह ने अपने दोस्तों के साथ बांटा और सड़क के बीच खड़े होकर अपने दोस्तों को गले लगा लिया और रो पड़े। वहीं जैसे जैसे इनके रिश्तेदारों की ये बात पता चली वो सब इनके घर में आकर इनको बधाई देने लगे। अपने पोते की इस उपलब्धि पर ईश्वर सिंह और दादी ओमपति ग्रेवाल का कहना है कि विक्रम ने खूब मेहनत की है और वो घर में आते ही घंटों तक पढ़ाई किया करता था और पढ़ाई से जुड़ी हुई ही बातें किया करता था। विक्रम के दादा की तरह ही उनके परदादा नफे सिंह जो कि 95 साल के हैं वो भी अपने परपोते की कामयाबी से गदगद हैं।
विक्रम ग्रेवाल महज 21 साल के हैं और इनका जन्म 19 नवंबर 1996 को हुआ था। विक्रम ने हाल ही में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। दरअसल विक्रम ग्रेवाल ने 21 साल की आयु होते ही संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का फॉर्म भर दिया था और जिस वक्त इन्होंने इस परीक्षा के लिए आवेदन किया था उस वक्त इनकी ग्रेजुएशन की परीक्षा का नतीजा घोषित नहीं हुआ था। वहीं संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के फॉर्म को भरते ही विक्रम ने अपना सारा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया और ये दिन में 18 घंटे तक पढ़ाई किया करते थे।
पहले ही प्रयास में की परीक्षा पास
विक्रम ने अपने पहले ही प्रयास में ये परीक्षा पास की है और 51 रैंक हासिल की है। विक्रम के अनुसार वो जब दूसरी क्लास में थे तब ये अपने दादा और दादी के साथ दो साल तक करनाल में रहे थे और इसी दौरान इनका जीवन एकदम बदल गया। इनके दादा ने इन्हें जो सीख दी थी उसकी के दम पर आज ये इस ऊंचाई तक पहुंच पाए हैं। विक्रम ने इस परीक्षा को पास करने के लिए खूब मेहनत की है। पढ़ाई से ध्यान ना भटके इसके लिए विक्रम ने अपने पास फोन तक नहीं रखा हुआ है। विक्रम के अनुसार फोन होने के कारण समय की बर्बादी ही होती है। जिस तरह से विक्रम ने मेहनत की है वो युवाओं के लिए काफी प्रेरणा जनक है।