मंदिर में प्रवेश करते वक़्त क्यों बजाते हैं घंटी, 99% लोग नहीं जानते होंगे इसकी वजह
हमारे हिन्दू धर्म में देवी-देवता, पूजा-पाठ, मंदिर आदि का काफी महत्व है और अगर आपने ध्यान दिया होगा तो देखा होगा की आमतौर पर जबभी कभी कोई मंदिर में प्रवेश करता है तो वहां लगी घंटियों को जरूर बजाते हैं। असल में आपने देखा होगा की जब भी आप मंदिर में जाते हैं तो प्रवेश करते ही आपको मंदिर के द्वार पर या फिर अंदर घुसते ही जो चीज़ नजर आती है वो है घंटियाँ। जी हाँ और समान्यतः भगवान के दर्शन करने के लिए आने वाला हर भक्त घंटी अवश्य बजता है और भगवान के दर्शन केरने के पश्चात वापिस लौटते वक़्त भी घंटी अवश्य ही बजाता है। यदि आप भी हिन्दू समुदाय से हैं तो आप भी मंदिर के अंदर जरूर गए होंगे और आपने भी मंदिर मैं लगी हुई घंटी अवश्य बजाई होगी। मगर क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है की आखिर मंदिर में इन घण्टियों को लगाया ही क्यों जाता है और इसके पीछे क्या कोई वैज्ञानिक वजह भी है या फिर बस यूं ही धार्मिक कारणों से लगाया गया है।
माना जाता है की मंदिर में प्रवेश करते वक़्त घंटी बजने के बाद ही भगवान के दर्शन करते हैं। बता दें की हमारे हिंदू धर्म में मंदिर के द्वार पर और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। लेकिन क्या ये घंटिया सिर्फ धार्मिक कारण से ही लगाई गयी है या फिर इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी है, आज हम आपको इसके विषय में बताने जा रहे हैं। असल में बताते चलें की प्राचीन समय से ही देवालयों और मंदिरों के बाहर इन घंटियों को लगाये जाने की शुरुआत हो गई थी और इसे लगाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि जिन स्थानों से घंटी की आवाज नियमित तौर पर आती रहती है वहां का वातावरण हमेशा सुखद और पवित्र बना रहता है।
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि घंटी लगाने से उस स्थान पर नकारात्मक या बुरी शक्तियां पूरी तरह निष्क्रिय रहती हैं, ऐसा भी माना जाता है की घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है और उसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है। पुराणों में कहा गया है कि मंदिर में घंटी बजाने से इंसानों के द्वारा किए गए अनेक पाप खत्म हो जाते हैं साथ ही साथ यह भी बताया गया है की मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। ऐसा बताया गया है कि जब धरती पर प्रलय आएगी, उस समय भी घंटी बजाने जैसा ही नाद वातावरण में गूंजेगा।
क्या है इसका वैज्ञानिक कारण
वैसे तो घंटियाँ कई प्रकार की होती हैं मगर आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो मुख्य रूप से घंटियां 4 प्रकार की बताई गयी हैं जो इस प्रकार से हैं गरूड़ घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और घंटा। इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए यह भी बताते चलें की मंदिर की घंटियाँ चाँदी, पीतल और पंचतत्व से मिलाकर बनाई जाती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो जब भी हम घंटी बजते हैं तो उस दौरान उसमे से हुई कंपन से जो ध्वनि निकलती है उससे वातावरण में उपस्थित तमाम तरह से किटाणु और विषाणु आदि को नष्ट कर देता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसकी वजह से हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सके साथ ही साथ व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करती है जिसकी वजह से व्यक्ति की बुद्धि भी प्रखर होती है।