अपनी ताकत पर कभी घमंड ना करें, शक्ति प्रदर्शन कब औऱ किसके सामने करना है इसका ध्यान रखें
आज के समय में अगर किसी व्यक्ति के पास थोड़ा पैसा या ताकत भी हो तो उसे अंहकार हो ही जाता है। जब हम अंहकार में आ जाते हैं तो उसी पल से हम अपना नुकसान करने लगते हैं। आदमी को हमेशा ये याद रखना चाहिए की कहां उसे खुद को बड़ा दिखाना है औऱ कहां खुद को छोटा दिखाना है। शक्ति औऱ ताकत हो तो हर पल उसका प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति अपनी ताकत को छिपाकर रखता है औऱ समय आने पर प्रदर्शन करता है वो असल में जीत प्राप्त करता है। इस कहानी को हनुमान जी एक प्रसंग से आपको समझाते हैं।
जब सीता मां से मिले हनुमान
जब रावण सीता जी को उठाकर अपनी लंका में ले गया तो कुछ समय बाद हनुमान जी सीता के पास पहुंचे। पहले उन्होंने सीता मां की खोज की औऱ देखा कि वो उदास हैं। सीता मां से हनुमानजी मिले तो उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम जल्दी ही वानरों की सेना लेकर लंका पर आक्रमण करेंगे। हनुमानजी सीता मां को आश्वासन दिला रहे थे की उनको उदास होने की जरुरत नहीं है, श्रीराम जल्द उन्हें लेने आएंगे। उन्होंने कहा कि मां भरोसा रखें। प्रभु आएंगे, मैं स्वयं आपको यहां से ले चलता, लेकिन श्रीराम की आज्ञा नहीं है।
सीता मां को विश्वास नहीं हो रहा था। उन्हे लग रहा था राक्षस इतने विशाल औऱ डरावने हैं हनुमान जी कैसे उनसे लड़ पाएंगे। सीता मां ने अपनी मन की बात बोल दीं। राक्षस बहुत बलवान हैं और वानर तुम्हारी तरह छोटे छोटे होंगे, आप उनसे नहीं जीत पाएंगे। हनुमान जी ने तुरंत अपना शरीर विशालकाय कर लिय़ा। हनुमान जी के ऐसा स्वरुप देखकर सीताजी के मन में विश्वास हो गया।
हनुमान जी अपने मूल स्वरुप में लौट आए। सीता मां उनका ये रुप देखकर आशवस्त हो गईं की वो इन राक्षसों से लड़ सकते हैं। हनुमान जी ने सीता मां से फल खाने की आज्ञा मांगी। सीता मां ने हंस कर उन्हें आज्ञा दे दी. इसके बाद हनुमान जी ने पेड़ो पर से नोच नोच कर फल खाए और पूरे लंका में तबाही मचा दी।
तुलसीदास जी ने इसके लिए लिखा है-
सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल
प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइपरम लघु ब्याल
इसका अर्थ है की हे मां , वानरों में बहुत बल-बुद्धि नहीं होती, परंतु प्रभु के प्रताप से बहुत छोटा सर्प भी गरुण को खा सकते हैं। उन्होने बताया कि जो कुछ भी हो सकता है वो सिर्फ पॅभु की कृपा से हो सकता है।
हनुमान जी ने अपनी शक्ति का परिचय़ दिया, लेकिन उसे परमात्मा से जोड़ दिया। हनुमान जी खुद कितने बलशाली थे, लेकिन उन्होंने अपने आप को कमजोर बता दिया। दूसरी तरफ मनुष्य जरा सी ताकत में अंहकारी महसूस करने लगता है। हमें अपनी शक्ति औऱ बुद्धि के लिए अपने भगवान का ध्यान करना चाहिए, लेकिन इस बात का कभी अंहकार नहीं करना चाहिए।अपनी ताकत सही समय के लिए बचा कर रखें औऱ हर वक्त उसका प्रदर्शन ना करें। हमें अपनी काबिलियत पर भरोसा होना चाहिए, अंहकार नहीं। जब अंहकार आ जाता है तो व्यक्ति पतन के रास्ते पर चलने लगता है।
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