क्यों ना वो करें जो करने में रुचि हो, फिर काम बोझ नहीं खेल लगेगा और तभी आप संतुष्ट रहेंगे
बृजमोहन एक मिडिल क्लास व्यक्ति थे जिनके एक पत्नी औऱ दो बेटे थे। वह अच्छी कमाई कर लेते थे, लेकिन उन्हें हमेशा बेहतरी की तलाश रहती थी। उनका मानना था कि पढ़ाई लिखाई करके ही एक बेहतर जीवन पाया जा सकता है। ऐसे में वो हमेशा अपने दोनों बेटों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया करते थे। बात सिर्फ प्रेरित तक रहती तो भी ठीक थी, वो अपने बच्चों पर दबाव बनाते थे कि वो अच्छे से पढ़े लिखें। उनंका सपना था कि एक बेटा इंजीनियर बने और दूसरा डॉक्टर।
बड़े बेटे माधव को फोटोग्राफी का शौक था
उनके दो में से बड़े बेटे को फोटोग्रॉफी का शौक था औऱ डॉक्टर बनने में उसे कुछ खास दिलचस्पी नहीं थी। हालांकि पिता को उसने हमेशा पढ़ाई करने का उपदेश देते सुना था तो उनसे इस बारे में ज्यादा कुछ कहने की उसकी हिम्मत नहीं होती थी। एक बार 12 वीं पास करने के बाद उसने कहा था कि उसे फोटोग्राफी करनी है। बृजमोहन के मिजाज सख्त हो गए थे। उसे खूब डांटा था औऱ फिर समझाया था की डॉक्टर बनकर वो रुपया पैसा रुतबा सब कमा लेगा, लेकिन फोटोग्राफी से उसका कुछ नहीं होने वाला।
छोटा भाई बड़े भाई को डांट खाते सुन चुका था इसलिए अपने मन में लेखक बनने का ख्याल वो कबका निकाल चुका था। वह भी पढ़ाई में ही लगा रहता था। दोनों की मां हमेशा अपनी बच्चों की बात अपने पति से कहने की कोशिश करती, लेकिन फिर लेक्चर का जो दौर शुरु होता था वो कभी खत्म नहीं होता था। हालांकि हालात उस दिन बदल गए जब एक दिन आंखों में नमी लिए बृजमोहन अपने घर लौटे।
जब पिता हो गए भावुक
माधव पढ़ाई कर रहा था तभी देखा उदास मन लिए उसके पिता कमरे में उसके सामने बैठे हैं। बॉजमोहन ने माधव की ओर देखते हुए कहा –बेटा मुझे माफ कर दो, मैने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया., तुम्हारी जिंदगी के तीन साल मैंने बर्बाद करवा दिए , मुझे तुम्हें फोटोग्राफी करने देना चाहिए था। माधव के होश उड़ गए थे। आज पिताजी को अचानक क्या हो गया, हमेशा डांटने वाले पिता आज ऐसी बातें क्यों करने लगें।
अंदर से माधव का मां बाहर आई औऱ पति से पूछा कि क्या बात हो गई। बृजमोहन ने कहा कि आज उनकी मुलाकात एक पूराने मित्र से हुई जिसके साथ उन्होंने 10वीं की पढ़ाई की थी। वो एक जिम का मालिक है और आज उसके पास बंगला गाड़ी सबकुछ है। उसने मेरी सोच बदल दी। पूरा परिवार हैरान था कि आज ये क्या कह रहे हैं।
वो करें जिसमें दिलचस्पी हो
आगे बृजमोहन ने कहा कि उनका एक दोस्त था श्याम जिसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और सिर्फ खेल कूद में उसका मन लगता था। उसके पिता हमेशा उसे पढ़ने के लिए कहते थे, लेकिन वो नहीं मानता था। यहां तक की एक बार उसके पिता ने उसको जबरदस्ती कमरे में बंद कर दिया था। बहुत कहने पर उसने इंजीनियरिंग कॉलेज ज्वाइन किया, लेकिन पहले ही ईयर में घर से भाग गया।
बृजमोहन ने कहा कि उस वक्त हमने श्याम के इस फैसले का बहुत मजाक उड़ाया था, लेकिन आज उसकी सफलता देखकर यकीन हुआ की उसने अपनी दिल की सुनी। बेटा तू भी दिल की सून, तुझे मेडिकल की पढ़ाई नहीं करनी मत कर, फोटोग्राफर बन, मैं तेरी मदद करुंगा। माधव औऱ उसकी मां की आंखों में खुशी के आंसू थे, दूर खड़ा गौरव सारी बातें सुन रहा था और वो भी खुश था की वो अधूरी कहानी अब पूरा कर सकता था।
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