अंडमान में बसी इस जनजाति से नहीं मिल सकते आम लोग, सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी है पाबंदी
न्यूज़ट्रेंड वेब डेस्क: भारत एक ऐसा देश हैं जहां पर अलग-अलग जातियां, संस्कृतियां और अलग-अलग धर्म के लोग एक साथ रहते हैं। भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर एक साथ अलग-अलग धर्म, संस्कृति और सभ्यताएं पाई जाती हैं और शायद यही वजह है कि भारत को एक महान देश माना जाता हैं। इस देश में सभी संस्कृतियों को समान तब्ज्जों मिलती है। लेकिन आज हम आपको भारत की एक ऐसी जाति और संस्कृतियों के बारे में बताने वाले हैं जो जंगलों में अपनी जीवन उसी तरह से बिता रही है जैसे पुराने समय में लोग बिताते थे।
भले ही विज्ञान ने आज काफी तरक्की कर ली हो लेकिन आज भी भारत में कई ऐसी जनजातियां हैं जो इन सभी सुख सुविधाओं से दूर जंगलों में अपना जीवन बसर कर रहे हैं और वो लोग आज भी आदिवासियों की तरह ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसी जनजाति के बारे में बताएंगे जो करीब पिछले 55,000 सालों से हिंद महासागर के टापुओं में रह रही है और मानव सभ्यता की सबसे पुरानी जनजातियों में से एक है। उस जनजाति का नाम है जारवा। दिलचस्प बात यह है कि इस जनजाति से आम लोगों के मिलने पर सरकार ने पाबंदी लगा रखी है।
बता दें कि इस जनजाति के बारे में ज्यादा किसी को मालूम नहीं था, ये जनजाति तब चर्चा में आई जब अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहने वाली इस जनजाति के टापू के पर एक अमेरिकी टूरिस्ट की हत्या हुई थी और वो हत्या इस ट्राइब के आदिवासियों ने की थी। बता दें कि इस द्वीप समूह पर आम लोगों के जाने की मनाही है लेकिन इसके बावजूद भी एक अमेरिकन टूरिस्ट मछुआरों की मदद से वहां पर जा पहुंचा था। रिपोर्टस के मुताबिक उस द्वीप पर रहने वाले आदिवासियों ने उस पर तीरों से हमला कर दिया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया था।
इस जनजाति के बारे में ज्यादा कोई जानकारी नहीं हैं लेकिन ऐसा माना जाता है कि जारवा जनजाति के लोग हजारों साल पहले अफ्रीका से यहा पर आकर बस गए थे। ये लोग किसी भी बाहरी लोगों से मिलते नहीं हैं। जिसके बाद सरकार ने इस जनजाति के लोगों से आम नागरिकों और पर्यटकों से मिलने पर पाबंदी लगा दी है। क्योंकि सरकार चाहती है कि इन लोगों की संस्कृति पर आधुनिक संस्कृति का प्रभाव ना पड़े। सरकार ने यह बैन ‘अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (पर्यटन व्यापार) विनियमन, 2014’ के आधार पर लगाया है। एक सच यह भी है कि यह जनजाति बाहरी दखल के कारण अब खतरे में पड़ गई है।
एक आंकड़ों के मुताबिक, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर रहने वाली जारवा जनजाति की आबादी अब 400 से भी कम रह गई है। सर्वाइल इंटरनेशनल के मुताबिक, अगर इस जनजाति की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये खत्म भी हो सकती है।
बता दें कि साल 1990 तक बाहरी दुनिया के लोगों का इस जनजाति से कोई संपर्क नहीं था। इस जनजाति के बारे में ज्यादा जानकारी किसी को नहीं थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों में कई ऐसी खबरें सामने आई जिसमें इन जनजाति के साथ बुरा बर्ताव करने के कई मामले सामने आए हैं। जिसके बाद ही सरकार से बाहरी दुनिया के लोगों पर इस जनजाति से मिलने पर पाबंदी लगा दी थी।
साल 2012 में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें इस जनजाति की कुछ महिलाओं को खाना देने के बदले उनसें न्यूड अवस्था में डांस करवाया था। ‘द गार्जियन’ ने 2014 में ही एक रिपोर्ट छापी थी। इसमें कहा गया कि कुछ बाहरी लोगों ने जारवा जनजाति की महिलाओं के साथ यौन हिंसा भी की। इस बात का खुलासा तब हुआ था, जब पहली बार जारवा जनजाति ने एक पब्लिक इंटरव्यू दिया था।
इंटरव्यू में इन लोगों ने बटाया कि कुछ लोगों ने शराब पीकर उनकी महिलाओं के साथ बुरा बर्ताव किया था। इस मामले में 7 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। अंडमान आइलैंड्स से गुजरने वाला अंडमान ट्रंक रोड भी जनजाति के लिए मुश्किल पैदा करता है। यह सड़क जनजाति के रिहायशी इलाकों से गुजरती है और लोग इस सड़क को सफारी की तरह इस्तेमाल करते थे। जिसके बाद साल 2013 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने इस रोड से टूरिस्ट्स के गुजरने पर रोक भी लगा दी थी, लेकिन बाद में कुछ गाड़ियों को इस रोड से गुजरने की अनुमति मिल गई थी। जारवा के अलावा आइलैंड्स पर तीन और ट्राइब्स ग्रुप सेंटीनीलीज, ओन्ज और ग्रेट अंडमानीज भी रहती है।