सूर्य देवता को देना हो अर्घ्य तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां, बिगड़ जाएगी बात
आपने अक्सर लोगों को सूर्य को अर्घ्य देते हुए देखा होगा। कई बार लोगों को कहा जाता है कि उन्हें अगर बहुत क्रोध आता हो तो सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। रविवार का दिन सूर्य भगवान का दिन होता है। जो व्यक्ति सूर्य की पूजा करता है उन्हें सिर्फ क्रोध में ही शांति नहीं मिलती बल्कि व्यक्ति को समाज में मान सम्मान के साथ यश की भी प्राप्ति होती है। साथ ही सूर्य के मंत्रों का जाप करने से कुंडली में सूर्य से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्य को जल चढ़ाते समय या पूजा करते समय की गई गलतियों से सूर्य देवता नाराज हो जाते हैं।
खाली जल ना चढ़ाएं
सूर्य देव का पूजन करते समय उन्हें लाल फूल, गुड़हल का फूल और चावल अर्पित करें। गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्य को अर्घ्य देते कुछ ऐसे बातें हैं और जिनका ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है वरना सूर्य देव रुष्ट हो जाते हैं।
जल ना पड़े पैरों में
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जल भरे लोटे का इस्तेमाल किया जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि जब आप सूर्य को अर्घ्य दें तो इसके छीटें आपके पैरो पर ना पड़ें। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य को जल देने वाला व्यक्ति अगर खुद के पैरों में जल पहुंचा देता है तो उसे सूर्य देवता का फल नहीं मिलता है। जल कभी भी खाली ना चढ़ाए उसमें पुष्प या अक्षत जरुर रखें। आप चाहें तो रोली, चंदन या लाल फूल डालकर भी सूर्य को अर्घ्य दे सकते हैं।
सुबह उठकर ही दें अर्घ्य
अगर कुंडली में किसी तरह का दोष हो तो रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद मंदिर में जाएं। इसके बाद घर आकर भी आप सूर्य को जल चढ़ा सके हैं। जो व्यक्ति ऐसा करता है कि उसके कुंडली में किसी भी तरह के दोष खत्म हो जाते हैं।इस बात का ध्यान रखें कि सूर्य को जल हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में उठकर देना चाहिए। साथ ही सुबह उठकर नितक्रिया से निवृत होकर औऱ नहा धोकर ही सूर्य को अर्घ्य दें।
तांबे का बर्तन का इस्तेमाल
सूर्य को अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखना जरुरी है कि इसके लिए स्टील, चांदी, शीशे और प्लास्टिक बर्तनों का प्रयोग नहीं करना है। सूर्यदेव को हमेशा तांबे के पात्र से ही जल दें। जल देते समय दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़े । जल हमेशा सिर के ऊपर से अर्पित करें। इससे जो सूर्य की किरणें रहती हैं वो शरीर पर पड़ती है।
पूर्व दिशा में दे अर्घ्य
सूर्य को अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान दें कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर ही हो। अगर किसी दिन आपको अर्घ्य देना है औऱ सूर्य भगवान नजर नहीं आ रहे हों तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल दें। दोनों हाथों से सूर्य को जल देते हुए ये ध्यान रखें की उसमें सूर्य की किरणों की धार जरुर दिखाई दे।
हमेशा सूर्य को अर्घ्य देते हुए कहें
स्मरामि खलु तत्सवितुरेण्यम रुपं हिं मंडलमृचोथ तनुर्यजूंषि। सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरुपम। पूजन करने के बाद अपने मस्तक पर लाल चंदन जरुर लगाएं।
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