पाई-पाई को मोहताज हो गए थे अनुपम खेर, 35 सालों से आलिया भट्ट के पापा को देते हैं कर्ज की किस्त
बॉलीवुड में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जब फिल्मों में साथ काम करते करते एक्टर और डायरेक्टर के बीच दोस्ताना रिश्ता हो गए हो। हालांकि, फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा काफी कम देखने को मिलता है कि ऐसे रिश्ते काफी दिनों तक चले हो। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे रिश्ते के बारे में बताने जा रहे हैं जो करीब 35 साल पहले शुरु हुआ और आज भी चल रहा है। हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के मझे हुए एक्टर अनुपम खेर और डॉयरेक्टर महेश भट्ट की, जो आज भी इंडस्ट्री में बहुत अच्छे दोस्त माने जाते हैं। लेकिन, इन दोनों के बीच दोस्ती की एक खास वजह भी है जिसे बहुत कम लोग ही जानते होंगे।
फिल्म प्रोडक्शन के बाद कंगाल हो गए थे अनुपम खेर
बॉलीवुड में 35 साल का लंबा करियर गुजार चुके अनुपम खेर ने करीब 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। लेकिन, आपको बता दें कि उन्होंने एक बार फिल्म प्रोड्युस करने की कोशिश की और बुरी तरह से फ्लाप रहे। उन्होंने एक ऐसी फिल्म भी बनाई, जिसे बनाने के बाद वो दिवालिया हो गए। दरअसल, 2005 में अनुपम खेर ने अपने प्रोडक्शन हाउस तले ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ नाम की फिल्म बनाई थी।
लेकिन, इस फिल्म को बनाने में उन्हें इतना खर्चा करना पड़ा कि वो पूरी तरह से कंगाल हो गए। इस बात का खुलासा एक इंटरव्यू में करते हुए अनुपम ने कहा था कि वे इस फिल्म से प्रोडक्शन के टाइकून बनना चाहते थे। लेकिन, इस फिल्म ने उन्हें कंगाल कर दिया था। इतना ही नहीम अनुपम ने आगे बताया कि वो इस फिल्म की वजह से पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए थे।
आज भी देते हैं महेश भट्ट को गुरु दक्षिणा
अनुपम खेर का जन्म 7 मार्च, 1955 को शिमला में हुआ था। उन्होंने बतौर लीड एक्टर फिल्मी करियर की शुरुआत महेश भट्ट की फिल्म ‘सारांश’ (1984) से की थी। आपको जानकर हैरानी होगी इस फिल्म में 28 साल के अनुपम को एक बूढ़े का रोल निभाना पड़ा था। इसी फिल्म से महेश भट्ट और अनुपम के बीच शुरु हुई दोस्ती आज तक कायम है। क्योंकि, यह अनुपम की लीड एक्टर को तौर पर पहली फिल्म थी इसलिए जब भी अनुपम खेर कोई नया प्रोजेक्ट साइन करते हैं तो वे महेश भट्ट यानि आलिया भट्ट के पापा गुरु दक्षिणा के तौर पर कुछ पैसे गिफ्ट के रुप में देते हैं।
अनुपम ने अपने दिवालिया होने की बात स्वीकार करते हुए कहा था कि उस वक्त मेरे पास 5 हजार रुपए भी नहीं बचे थे। इस बात को गुजरे कई साल हो चुके हैं लेकिन, हाल ही में अनुपम ने 2015 में मलेशिया में आयोजित आइफा अवॉर्ड फंक्शन के दौरान बताया कि उन्होंने कैसे एक्टिंग स्कूल खोलने की सोची। उनके मुताबिक, 2005 में दिवालिया होने का ही नतीजा ये हुआ कि उन्होंने अपना एक्टिंग इंस्टीट्यूट ‘द एक्टर प्रीपेयर्स’ खोलने का सोचा। उन्होंने बताया की वो जब फिल्ममेकिंग में फेल हो गए तो एक्टिंग इंस्टीट्यूट खोलने का निर्णय किया था। बता दें कि फिल्म ‘सारांश’ में उन्होंने 65 साल के बुजुर्ग का किरदार निभाया था, जो उनके करियर के लिए एक अहम फिल्म साबित हुई।