जहां 15 साल पुरानी कार नहीं रखते लोग वहां 60 साल पुराने मिग से जाबाज करते हैं देश की रक्षा
हमारी भारतीय सेना के हर जज्बे को सलाम, क्योंकि वो सीमा पर देश की रक्षा करने के साथ-साथ देश से मिल रहे सुविधाओं के बारे में भी कुछ नहीं कहते. फिर वो कही भी कैंप लगाकर रहने की बात हो या फिर कोई पुराना मिग हो. भारतीय सेना हर हाल में देश को प्रॉयेरिटी देते हैं और उनके इस काम को हमारा सलाम है. देश की सुरक्षा पर कोई आंच ना आए इसलिए भारतीय वायुसेना हर हाल में रहकर अपना फर्ज निभाते हैं. हम उसी मिग की बात कर रहे हैं जिससे 50 साल पुराने मिग से हमारे जाबाज करते हैं देश की सुरक्षा, उन्ही में से एक है मिग और क्या आप आजकल सुर्खियों रहे मिग-21 के बारे में जानते हैं ?
50 साल पुराने मिग से हमारे जाबाज करते हैं देश की सुरक्षा
मिग-21 सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे पुराना लड़ाकू विमानों में गिना जाता है. एक अनुमान के मुताबिक मिग-21लड़ाकू विमान दुनिया के लगभग 40 से ज्यादा देशों द्वारा प्रयोग में लाया जाने वाला विमान है. लगभग 4 दशकों से भी ज्यादा समय से आसमान की रक्षा करने वाले मिग-21 लड़ाकू विमान अपने अपने देश के काम आता है. मिग-21 का पूरा नाम Mikoyan-Gurevich है और इसे शॉर्ट में MIG-21 कहा जाता है. मिग-21 को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद धरातल पर लाने का प्रयास किया गया था. साल 1995 में अविभाजित सोवियत संघ (USSR) के द्वारा मिग-21 ने पहली उड़ान भरी थी. इस विमान में एक चालक आ सकता है और इसकी लंबाई 14.7 मीटर और ऊंचाई 4 मीटर है. इसकी अधिकतम गलि 1912 किमी प्रति घंटे के हिसाब से है.
मिग-21 लड़ाकू विमानों को साल 1961 में पहली बार भारत ने अपने बेड़े में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया और भारत मिग-21 लड़ाकू विमानों को सबसे ज्यादा प्रयोग करने वाले सबसे बड़े तीन देशों में शामिल हो गया. शुरुआती समय में भारतीय वायुसेना के पायलटों को इसे उड़ाने के लिए पर्याप्त ज्ञान नहीं था.
कुछ खास बातें मिग-21 के बारे में
1. साल 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध में मिग-1 लड़ाकू विमानों के अपेक्षा के अच्छे प्रदर्शन के बाद भारत ने मिग-21 के और लड़ाकू विमानों को खरीदने का फैसला लिया.
2. एक अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में करीब 13000 मिग-21 है और इस लड़ाकू विमान का उत्पादन इतिहास में सबसे लंबे समय के लिए साल 1959 से साल 1985 तक हुआ.
3. सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों का सबसे ज्यादा उत्पादन मिग-21 का किया गया और पूरी दुनिया में एक अनुमान है कि लगभग 40 से ज्यादा देशों के द्वारा मिग-1 का प्रयोग किया जाता है.
4. लगभग 4 दशकों से भी ज्यादा समय तक आसमान पर राज करने वाले मिग-21 का गौरवशाली इतिहास रहा है. जो अपने आप में एक खास बात है.
5. साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध के समय में भारत के पास ज्यादा मिग-21 नहीं थे और सीमित मात्रा में मिग-21 का शानदार प्रदर्शन रहा है . जिसके बाद भारत ने मिग-21 लड़ाकू विमान की खरीद ज्यादा कर ली.
6. मिग-21 को खरीदने का भारत को सबसे ज्यादा लाभ साल 1971 में हुए भारत-चीन युद्ध में हुआ. इस युद्ध में मिग-21 की अभूतपूर्व प्रदर्सन और क्षमता के कारण ही ईरान ने भारत से उनके पायलटों को प्रशिक्षण के लिए कहा.
7. साल 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ को खत्म करने में मिग-21 ने बहुत योगदान रहा है. भारतीय सेना को मिग-21 के समर्थन से बहुत ताकत मिली थी.
8. मिग-21 के शौर्य की अनेक गाथाएं हैं जो भारत कभी नहीं भूल सकता. कुछ दुर्भाग्यशाली घटनाओं के कारण मिग-21 लड़ाकू विमानों के द्वारा स्थानांतरित करने का फैसला लिया.
अकसर होती रही हैं दुर्घटनाएं
भले ही मिग-21 के शौर्य की अनेकों गाथाएं हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि मिग-21 से होने वाली दुर्घटनाएं भी कम हैं. साल 2010 से 2013 के बीच मिग-21 के करीब 14 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दुर्घटनाओं में लगभग 170 पायलट और करीब 40 आम नागरिकों की जान जा चुकी है. वर्ष 1966 से लेकर साल 1984 के बीच उत्पादित किये गये मिग-21 लड़ाकू विमानों में से लगभग आधे किसी न किसी तरह से दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं. अब सवाल ये उठता है कि भारत जैसे देश में जहां लोग 15 साल से पुरानी कार तक का इस्तेमाल नहीं करते वहां करीब 50 साल पुराना मिग इस्तेलाम होता है और हमारे जाबाज पायलट इसी मिग से हमारे देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं.