अध्यात्म

आखिर क्यों किया जाता है महाकाल का भस्म से श्रृंगार? क्या नाता भगवान शिव का भस्म के साथ

हिंदू धर्म सभी धर्मों में सबसे पुराना माना जाता है. हिंदू धर्म में अनेकों देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है और हर देवी-देवता की अपनी एक अलग मान्यता होती है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को त्रिदेव कहा गया है. शिवजी की कल्पना एक ऐसे देव के रूप में की जाती है जो कभी संहारक तो कभी पालक होते हैं. भगवान शिव को संहार का देवता भी कहा जाता है. इसी तरीके से भगवान शिव के कुल 12 नाम प्रख्यात हैं. पूरे भारत में शिवजी के भक्तों की संख्या सबसे अधिक है. महिला से लेकर पुरुष सभी उनकी भक्ति में लीन रहते हैं. हिंदू धर्म की मानें तो सभी देवी-देवताओं के पास अपने-अपने लोक हैं जिनमें वह विराजते हैं. लेकिन महादेव इकलौते ऐसे भगवान हैं जो माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत की सर्द वादियों में विराजते हैं. भगवान शिव अपने अनोखे रूप की वजह से सबसे अलग भी दिखते हैं. अगर देखा जाए तो भगवान शिव का रूप सबसे हटके है. भगवान की सौम्य आकृति और रुद्र रूप दोनों ही विख्यात हैं. भगवान शिव हमेशा भस्म से ही अपना श्रृंगार करते हैं. इसलिए उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर जो कि बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है, हर रोज भस्म की आरती की जाती है. आखिर भगवान शिव का भस्म से ही श्रृंगार क्यों किया जाता है? क्या कारण है ऐसा करने के पीछे, आईये जानते हैं.

सारे देवी-देवताओं से थोड़े अलग माने जाते हैं शिव

हिंदू शास्त्र में सभी देवी-देवताओं को सुंदर वस्त्र और आभूषण में दिखाया गया है लेकिन भोलेनाथ एक ऐसे भगवान हैं जिनके शरीर पर हिरण की खाल है और जिन्होंने भस्म धारण किया हुआ है. बहुत कम लोगों को पता होगा कि भगवान शिव जो भस्म लगते थे उसके पीछे एक ख़ास वजह थी.

पत्नी की चिता की भस्म लगते हैं महादेव

दरअसल, भगवान शिव शरीर पर जो भस्म लगाते हैं वह उनकी पत्नी सती की चिता की भस्म है. सती के पिताजी दक्ष ने जब सबके सामने भगवान शिव का अपमान किया तब सती यह बर्दाश्त नहीं कर पायीं और हवन कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी.. उसी समय से भगवान शिव माता सती की चिता की भस्म का श्रृंगार करने लगे. बता दें, माता सती भगवान शिव की पहली पत्नी थीं.

भस्म लगाने के कुछ वैज्ञानिक कारण

बता दें कि भस्म लगाने से सर्दियों के मौसम में ज्यादा ठंड का अहसास नहीं होता. इसलिए अक्सर आपने भी अघोरियों को शरीर पर भस्म लगाये देखा होगा. ठीक वैसे ही गर्मियों के दिनों में यह सूखापन नहीं आने देती. शरीर पर भस्म लगाने से त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं. इसलिए शरद ऋतु में रोमछिद्र बंद होने से सर्दी नहीं लगती. इतना ही नहीं, भस्म लगाने से शरीर में मक्खी-मच्छर और कीट-पतंगे भी नहीं काटते हैं.

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