जब सम्राट अशोक ने मंत्री को पढ़ाया महानता से जुड़ा पाठ, मंत्री के हाथों भेजे सिर बेचने को..
सम्राट अशोक हमारे देश के सबसे प्रसिद्ध सम्राट थे और इनका योगदान भारत को बनाने में काफी अधिक रहा है. 304 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में पैदा हुए सम्राट अशोक के कार्यों की वजह से ही आज की सदी में भी इनको याद रख गया है. वहीं सम्राट अशोक कितने महान राजा थे इसका पता इनके साथ जुड़ी कई कहानियों से पता चलता है और इन्हीं कहनियों में से एक कहानी इस प्रकार की है.
सम्राट अशोक और उनके मंत्री से जुड़ी कहानी
कहा जाता है कि एक बार सम्राट अशोक अपने किसी मंत्री के साथ किसी जगह जा रहे थे और तभी सम्राट अशोक की नजर एक भिखारी पर पड़ी, भिखारी को देखते ही अशोक ने अपने रथ को वहां रोक लिया और अपने रथ से उतरकर उस भिखारी के आगे सम्मान के साथ अपना सिर झुकाया. अपने राजा को सिर झुकाता देख मंत्री काफी दंग रह गया और उन्हें अशोक की ये चीज पसंद नहीं आई. वहीं जब अशोक रथ पर वापस चढ़कर आगे बढ़ने लगे तभी उनके मंत्री ने उनके सामने अपनी मन की बात रखी और कहा कि उन्होंने एक राजा होकर किसी भिखारी के आगे अपने सिर को क्यों झुकाया. मंत्री की बात सुनकर अशोक ने उनको कहा कि वो उनके इस सवाल का उत्तर उन्हें कल देंगे.
मंत्री के हाथों भेजे सिर बेचने को
अगले दिन सुबह होते ही राजा अशोक ने अपने मंत्री को बुलाया और उनको तीन सिर सौंप दिए. ये तीन सिर बकरी, भैंस और इंसान के थे. मंत्री को सिर सौंपने के बाद राजा अशोक ने उनको कहा कि वो इन तीनों सिर को ले जाकर इन्हें बेच कर आएं. महाराजा का आदेश पाते ही मंत्री इन सिर को बेचने के लिए चले गया. वहीं सुबह से शाम हो गई मगर किसी ने भी इन तीनों सिरों में से किसी भी सिर को नहीं खरीदा.
शाम होने के बाद मंत्री इन तीनों सिरों को लेकर अशोक के पास आए और कहा कि इनको कोई भी व्यक्ति खरीदने के लिए तैयार नहीं हो रहा है. मंत्री की पूरी बात सुनने के बाद अशोक ने उन्हें कहा कि वो इन सिर को बिना कोई पैसे लिया बेचकर देंखे. अगले दिन सुबह होते ही मंत्री दोबारा से इन सिर को लेकर गया और इस बार मंत्री ने बिना कोई पैसे लिए ये सिर लोगों को लेने को कहा.
किसी ने नहीं खरीदा इंसान का सिर
मंत्री जैसे ही बिना पैसों के ये सिर बेचने लगे तो लोगों ने भैंस और बकरी के सिर को ले लिया. वहीं जब इंसान के सिर की बारी आई तो किसी ने भी इसे नहीं खरीदा. इंसान का सिर ना बिकने से परेशान होकर मंत्री वापस अशोक के पास गए और उनको बताया कि इंसान का सिर किसी ने नहीं खरीदा. तब अशोक ने मंत्री को कहा कि जब इंसान के सिर की कोई कीमत ही नहीं है और इसे कोई मुफ्त में भी लेना नहीं चाहता है तो इस सिर को किसी के सामने झुकाने में क्या बुराई है. किसी के आगे सिर झुकाने से केवल सम्मान ही बढ़ता है. अशोक की ये बात सुनते ही मंत्री को उनके द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब मिल गया.