11 मुखी हनुमान जी की पूजा से हो दूर होती हैं बाधाएं, जाने किस मूर्ति से कौन सी कामना होती है पूरी
हनुमान जी एकलौते ऐसे भगवान हैं जो आज भी कलयुग में धरती पर वास करते हैं। वह इतने शक्तिशाली और प्रतापी हैं की एक बार उनका नाम लेने भर से सारी बाधाएमं और तकलीफें दूर हो जाती हैं। हनुमान जी को जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से याद करता है वह उसकी सारी मुश्किलें दूर कर उसकी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। हनुमान जी के अपने ही भिन्न रुप हैं और सभी की पूजा करने का अपना अलग महत्व है। आज हम आपके हनुमान जी के 11 मुख वाली मूर्तियों के पूजा के लाभ बताएंगे जिससे आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी।
पूर्वमुखी
पूर्व की तरफ मुख किए हनुमान को वानर कहा जा जाता है। इनका तेज करोड़ो सूर्यों के समान होचा है। अगर घर में या मंदिर में कहीं भी इनकी पूजा की जाए तो शत्रु आपसे डरकर भागने लगते हैं। अगर आपके शत्रु बढ़ रहे हों तो पूर्वमुखी हनुमान जी की पूजा करें। आपको जीत हासिल होगी।
पश्चिममुखी
पश्चिम मुख वाले हनुमान जी को गरुण माना जाता है। गरुण असल में भगवान विष्णु का वाहन होता है और वह अजर अमर होते हैं। ऐसे में जो पश्चिममुखी हनुमान जी की पूजा करता है वह ऐसे ही अजर अमर होने का आशीर्वाद पाता है। अर्थात उसकी आयु लंबी होती है और शरीर स्वस्थ होता है।
उत्तरामुखी
आपकी जो भी शुभ या मंगल कामना है वह उत्तरामुखी हनुमान की पूजा करने से पूरी हो जाती है। उत्तर की तरफ मुख किए हनुमान को शूकर माना जाता है। इनकी पूजा से धन दौलत मिलती है। निरोगी काया मिलती है, उम्र लंबी होत है और मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है।
दक्षिणामुखी हनुमान
भय, चिंता, घबराहट जैसी समस्या हो रही हो तो दक्षिणामुखी हनुमान जी की पूजा करें। दक्षिणामुखी हनुमन को नरसिंह माना जाता है। दक्षिण त सभी तरह की बरी और नकारात्मक शक्तियों की दिशा मानी जाती है। अपने घर में उत्तर की दीवार पर दक्षिणा मुख वाले हनुमान जी की तस्वीर लगाए। आपको डर लगना या भयभीत होने जैसी समस्या से छूटकारा मिल जाएगा।
ऊधर्वमुख
इस मुख का मतलब है घोड़े जैसा होना।हनुमान जी का ये स्वरुप ब्रह्माजी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था। हनुमान जी इस मुख के साथ हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए पैदा हुए थे। इसे घर में लगाने से और प्रार्थना करने से आपके भी सारे बिगड़े काम बन जाएंगे।
पंचमुखी हनुमान
रामायण में पंचमुखी हनुमान का वर्णन सुनने को मिल जाएगा। जब राम और लक्ष्मण कैद कर लिए गए थे तो उन्हें छुड़ाने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रुप धारण कर लिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि अहिरावण ने पांच मुख का दीपक जाया था जिसे एक साथ फूंकने पर अहिरावन का वध हो जाता है। उस वक्त हनुमान जी ने पांच मुख का रुप धारण कर एक साथ पांचों दिए बुझा दिए थे। पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से सभी मंगल मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
एकादशी हनुमान
रुद्र यानी शिव का ग्यारहवां अवतार हैं एकादशी हनुमान।कालकारमुख नाम के भयानक राक्षस का अंत करने के लिए एकादश मुख रुप हनुमान जी ने धारण किया था। एकादशी के दिन पंचमुखी और एकादशी हनुमान जी की पूजा होती है।
वीर हनुमान
पराक्रमी हनुमान जी वीर और बल का प्रतीक हैं। उनके उस रुप की पूजा करने से व्यक्ति को बल बुद्धि, पराक्रम और आत्मविश्वास मिलता है।
भक्त हनुमान
राम जी खुद की श्रीराम के बिना अधूरा मानते हैं। आपको हनुमान जी की ये मूर्ति या तस्वीर बड़ी ही आसानी से मिल जाएगी क्योंकि वह अक्सर ही माता सीता औऱ प्रभु राम को प्रणाम करते दिख जाते हैं।
दास हनुमान
हनुमान खुद को सिर्फ प्रभु राम का भक्त नहीं बल्कि अपना दास बताते हैं। उनकी अधिकतर तस्वीरों में वो श्रीराम के चरणों में बैठे नजर आएंगे।
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