सीनियर्स को दरकिनार कर बिपिन रावत को आर्मी चीफ बनाने का राज…!
नये साल से पहले ही मोदी सरकार ने देश में कई बड़े बदलाव करने की ठान ली है, ऐसा लग रहा है कि सरकार अब आतंकवाद, काला धन और भ्रष्टाचार की कमर तोड़ कर ही दम लेगी. सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी के बाद मोदी सरकार ने अब एक और बड़ा फैसला लिया है जो आतंकवाद पर नकेल कसने में मददगार साबित होगा. लेकिन बाकी सभी फैसलों की तरह ही मोदी सरकार के इस नये फैसले पर भी विपक्ष के सवाल आने लगे हैं, इन सवालों पर ज्यादा ध्यान दिये बिना पीएम मोदी अपने काम पर लगे हुये हैं.
बिपिन रावत को अगला सेना प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा:
ताज़ा मुद्दा है सेना, वायुसेना और देश की सुरक्षा से जुडी दो अन्य एजेंसियों के नये प्रमुखों की नियुक्ति का. गौरतलब है कि 31 दिसम्बर को वर्तमान सेनाध्यक्ष का कार्यकाल ख़त्म हो जायेगा, ऐसे में नये आर्मी चीफ की नियुक्ति होनी थी और केंद्र सरकार ने वरिष्ठता के नियम को दरकिनार करते हुये सेना में तीसरे पायदान पर नियुक्त लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को अगला सेना प्रमुख नियुक्त करने की घोषणा की है, माना जा रहा है कि केंद्र ने ऐसा पाकिस्तान और चीन को सबक सिखाने के लिये किया है.
मोदी सरकार का ये फैसला भी कांग्रेस को अखर रहा है और कांग्रेस ने इसपर भी सवाल उठाये हैं, कोंग्रेस के एक प्रवक्ता ने ट्वीट करके मोदी सरकार पर साम्प्रदाइक होने का आरोप लगाया है और कहा कि वरिष्ठता के आधार पर जनरल दलबीर सिंह सुहाग के जनरल बक्शी और उनके बाद ‘एम. ए. हरीज को आर्मी चीफ नियुक्त किया जाना चाहिये था, अगर ऐसा होता तो हरीज देश के पहले मुस्लिम सेनाध्यक्ष होते लेकिन पीएम मोदी ने अपनी आरएसएस की मानसिकता के चलते ऐसा नहीं होने दिया’.
कांग्रेस के सवालों का करारा जवाब देते हुये एक बीजेपी नेता ने कहा कि ‘मोदी सरकार का फैसला बिल्कुल ठीक है और सेना से जुड़े फैसलों में विपक्ष को राजनीति नहीं करनी चाहिये’ उन्होंने पिछले सरकार पर चुटकी लेते हुये यह भी कहा कि इस सरकार में फैसले पीएमओ से होते हैं, 10 जनपथ से नहीं.’ गौरतलब है कि 10 जनपथ सोनिया के घर का पता है.
दरअसल लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत का ट्रैक रिकॉर्ड अपने दोनों सीनियर्स से काफी अच्छा है और उन्हें लड़ाई और मुश्किल ऑपरेशन का अनुभव भी बाकियों के मुकाबले कहीं ज्यादा है, भारतीय सेना के 27वें प्रमुख के तौर पर लेफ्टिनेंट जनरल रावत को चुने जाने के पीछे कई खास वजहें हैं, लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी कभी खतरनाक जगहों पर पोस्टिंग नहीं हुई, वहीं, प्रवीण बख्शी के बाद के सीनियर सेनाधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पी एम हरीज के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें एलओसी जैसी जगहों पर ऑपरेशन चलाने का कोई अनुभव नहीं है, जबकि बिपिन रावत कई खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम दे चुके हैं, गोरखा रेजीमेंट के बिपिन रावत को देश की मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त अधिकारी माना जा रहा है.
बिपिन रावत, कश्मीर में एलओसी और नॉर्थ ईस्ट में चीन से लगी सीमा पर भी लंबे समय तक काम कर चुके हैं और उनको काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन विशेषज्ञ माना जाता है, वो ऊंची चोटियों की लड़ाई में भी निपुण माने जाते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि आतंकवाद और सीमा की चुनौतियों को देखते हुए उनको आर्मी चीफ के पद पर नियुक्त किया गया है