भारत की पहली महिला होगी यूपी की शबनम, जिसे दी जा सकती है फांसी, लोग अब भी उसके खौफ नहीं भुला पाए
बदलते दौर के साथ साथ भारत देश में अपराधों की संख्या भी लगातार बढती चली जा रही है. आज हम आपको जिस घटना का ब्योरा देने जा रहे हैं, उसे 10 साल बाद भी लोग उभर नहीं पाए हैं. यह घटना यूपी की लड़की शबनम से जुडी है. जिस शबनम को हिंदी में ओस या तुषार कहते हैं, जिसे देखते ही पाक मोहब्बत हो जाती है, ऐसे खूबसूरत नाम को अमरोहा के बावन खेडी गाँव में कोई याद नहीं करना चाहता. जब भी उस गाँव में शबनम का नाम लिया जाता है, तो डर लोगों के चेहरों पर साफ़ नजर आता है. यह एक ऐसा नाम है, जो हर बार लोगों के जहन में कडवी यादें ताज़ी कर देता है.
वहीँ दूसरी और इस गाँव के लोगों ने इस शबनम के बाद अपनी बेटियों का नाम “शबनम” रखना ही बंद कर दिया. इसके पीछे का कारण 10 साल पुराणी घटना है जिसने लोगों का दिल देहला कर रख दिया था. दरअसल, इसी गाँव में शबनम नाम की एक लड़की दस साल पहले अपने प्रेमी के साथ सलीम नामक आशिक के साथ घर से भाग गई थी. लेकिन हैरत की बात यह है कि लड़की ने घर छोड़ने से पहले अपने ही परिवार के 7 लोगों का गला रेत कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना के कारण उन सभी लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी.
आज भी उत्तर प्रदेश की यह घटना सबसे दर्दनाक और भयानक घटनाओं की लिस्ट में शामिल है जिसे पूरा देश जानता है. दशक पुराणी इस घटना का नाम आते ही सब लोग सहर उठते हैं. शायद यही वजह है जो कोई भी शबनम जैसा पाक नाम अपनी बेटी को नहीं देना चाहता. 10 साल पहले जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर हसनपुर थाना क्षेत्र के खेड़ी गाँव में अप्रैल महीने की 14-15 तारिख को उस समय हडकंप मच गया जब एक ही घर के 7 लोगों की मौत की ख़बर गाँव में फ़ैल गई जबकि उनमे से जो सुरक्षित था वह खुद 25 वर्षीय शबनम ही थी. घटना के तुरंत बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने अधिकारीयों को जांच के आदेश दे दिए थे.
मामले के खुलासे के 2 साल बाद अमरोहा की एक अदालत ने शबनम को मौत की सज़ा सुनाई जिसके बाद इलाहबाद की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा पर मोहर लगा दी. तब से लेकर आज तक घटना को लेकर भले ही दस वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी शबनम अपने 8 महीने के बच्चे और सात अन्य लोगों की हत्या के आरोप में मुरादाबाद जेल में बंद है. वहीँ दूसरी और सलीम भी सेंट्रल जेल में सजा काट रहा है.
शबनम और सलीम का एक बीटा है जो कि 10 साल का हो चुका है और बुलंदशहर के एक पत्रकार उस्मान सिफ़ी और वंदना के साथ रहता है. उस्मान और शबनम कॉलेज में साथ पढ़ते थे इसलिए उन्होंने उसके बच्चे की जिम्मेदारी ली थी. फ़िलहाल शबनम और सलीम को फांसी दी जाएगी या नहीं इस बारे में कोर्ट का फैसला आने वाला है. दोनों ने राष्ट्रपति के पास दया की याचिका दायर की थी अब सरकार क्या फैसला करेगी और शबनम के साथ क्या होगा, इस बात का इंतज़ार पूरा देश करा रहा है.