भारत ने रूस और ईरान को चेताया, कहा तालिबान का सहयोग ठीक नहीं
मोदी सरकार के आने के बाद से भारत की वैश्विक छवि में कई बड़े बदलाव आये हैं, अब भारत वैश्विक पटल पर बेहद जरूरी और खास माना जाने लगा है, दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश होने के बाद भी भारत को विश्व में अपनी आवाज उठाने के लिये दूसरे बड़े और आर्थिक रूप से मजबूत देशों से समर्थन की मांग करनी पड़ती थी लेकिन अब भारत अपनी बात सीधे तौर पर विश्व पटल पर रखता है और तमाम देश भारत के साथ खड़े नज़र आते हैं, आतंकवाद के खिलाफ भारत अपनी मुहीम में अब और ज्यादा मजबूती के साथ खड़ा है. अब भारत को कोई आँख नहीं दिखा सकता क्योंकि विश्व अच्छी तरह से जानता है कि भारत को आंख दिखाने का क्या मतलब होगा.
भारत ने अपने पुराने दोस्त रूस को चेतावनी दी
भारत ने अपने पुराने दोस्त रूस को चेतावनी दी है और कहा कि रूस अफगानिस्तान में तालिबान को राजनीतिक महत्व दिलाने का प्रयास ना करे साथ ही भारत ने ईरान से भी यही बात कही, भारत ने रूस और ईरान से कहा कि ‘हमारे द्विपक्षीय संबंधों में किसी तरह की कोई कमी नहीं है लेकिन पिछले दिनों कुछ घटनाओं से भारत को परेशानी जरूर पहुंची है’. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप के जारी किये गये बयान में कहा गया कि ‘तालिबान को अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुये आतंकवाद और हिंसा का रास्ता छोड़ देना चाहिये और अलकायदा जैसे संगठनों से नाता तोड़कर डेमोक्रेटिक वैल्यूज को अपनाना चाहिये, साथ ही तालिबान को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिये जिससे बीते सालों में आये बदलावों को धक्का लगे’, भारत की तरफ से रूस को ऐसी चेतावनी देना मामूली बात नहीं है, रूस भारत का पुराना सहयोगी रहा है, भारत का मानना है कि रूस अफगानिस्तान में अभी जैसे कदम उठा रहा है उससे विश्वभर में आतंकवाद की गहरी समस्या खड़ी होने की आशंका है.
अफगानिस्तान में रूस के राजदूत अलेक्जेंडर मानतित्सकी ने एक बयान में कहा था कि ‘हमारे हित साझा हैं क्योंकि तालिबान आईएसआईएस के खिलाफ लड़ रहा है’, वहीं रूस का कहना है कि वह तालिबान को ‘नैशनल मिलिट्री पॉलिटिकल मूवमेंट’ मानता है, जबकि इस्लामिक स्टेट पूरी दुनिया के लिए खतरा है और आने वाले भविष्य में रूस समेत पूरे मध्य एशिया के लिए खतरा साबित हो सकता है.
साथ ही ईरान ने भी तालिबान के साथ बातचीत करने की कोशिश की, ईरान मानता है कि ऐसा करने से अफगान क्षेत्र में आईएस को दूर रखा जा सकेगा, ईरान में एक धर्मगुरु ने इस सप्ताह को तालिबान के नरमपंथी नेताओं से बातचीत वाला सप्ताह घोषित किया है और इस्लामिक एकता के लिये एक कांफ्रेंस में शामिल होने के लिये तालिबान नेताओं को भी बुलाया है, माना जा रहा है की ईरान तालिबान मूवमेंट से जुड़ी कुछ पार्टियों से हमेशा संपर्क में रहता है,
वैसे तो ईरान तालिबान से अपने संबंधों की बात को हमेशा ख़ारिज करता रहा लेकिन, कुछ ही समय पहले अफगानिस्तान के अधिकारियों ने तेहरान पर आरोप लगाया था कि वह तालिबान के टॉप कमांडरों के परिवारों को सुविधाएं दे रहा है और अफगानिस्तान को अस्थिर करने के लिए उन्हें हथियार मुहैया करा रहा है.