संसद हमले की 15वीं बरसीः जानिए, कैसे थे आतंक के वो 45 मिनट…..
नई दिल्ली – संसद भवन पर आतंकी हमले की मंगलवार को 15वीं बरसी है। संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हुए इस आतंकी हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे। यह हमला 15 साल पहले आज ही के दिन हुआ था। सफेद एंबेसडर कार में आए पांच आतंकवादियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करके पूरे देश को झकझोर दिया था। इस आतंकी हमले को लश्कर-ए-तोएबा और जैश-ए-मोहम्मद के पांच सशस्त्र आतंकियों ने अंजाम दिया था और लगभग एक घंटे तक चली गोलीबारी को देशवासियों ने टीवी चैनलों पर लाइव देखा था। Anniversary of parliament attack.
कैसे और कब हुआ था आतंकी हमला –
13 दिसंबर 2001 की दोपहर को विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी थी। कार्यवाही स्थगन के करीब 40 मिनट बाद हथियारबंद आतंकवादी संसद परिसर में दाखिल हुए। उस समय एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री थे। जब आतंकवादी संसद भवन परिसर में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे तब गलती से उनकी कार तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के काफिले से टकरा गई जिसके बाद आतंकवादी कार से बाहर निकले और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे।
सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच करीब एक घंटे तक मुठभेड़ चली। हमले की बाद जांच एजेंसियों द्वारा अफजल गुरु, शौकत हुसैन, एसएआर गिलानी और नवजोत संधू को अभियुक्त बनाया गया। सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने नवजोत संधू को पांच साल सश्रम कारावास और बाकी तीनों को मौत की सजा सुनायी। मुख्य अभियुक्त अफजल गुरु की मौत की सजा पर दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया और अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई।
पीएम मोदी सहित सभी सांसदों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि –
संसद की कार्यवाही से पहले आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सहित सभी दलों के सांसदों ने एक साथ संसद भवन के सामने खड़े होकर संसद हमले में मारे गए शहीदों को याद किया। इस हमले में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। मोदी ने संसद भवन परिसर में मृतकों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और सभी पार्टियों के सांसद भी मौजूद थे और सभी ने श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने बाद में ट्वीट किया, ‘वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले के दौरान अपना जीवन कुर्बान करने वाले शहीदों को सलाम। उनकी बहादुरी को कभी भुलाया नहीं जाएगा।’