नहाना इंसान का एक दैनिक काम होता है, इससे तन-मन तो शुद्ध रहता ही है, साथ ही साथ कई रोगों से बचाव भी होता है। नहाने के बाद शरीर में चमक आती है और चेहरा हमेशा खिला-खिला रहता है। कुछ लोग होते हैं जो नहाने में संकोच करते हैं, लेकिन नहाने से कई तरह के अध्यात्मिक लाभ भी होते हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। आइये आज हम आपको नहाने से होने वाले अध्यात्मिक लाभ के बारे में बताते हैं।
नहाने से होता है ये अध्यात्मिक लाभ:
*- नहाने से पहले जो भी पुण्यकर्म किये जाते हैं, उनका कोई मतलब नहीं रह जाता है। ऐसा कहा जाता है कि नहाने से पहले जो भी काम किया जाता है, वह राक्षस के पक्ष में चला जाता है। (न हि स्नानं पुंसां प्राशस्त्यं कर्मसु स्मृतम्…लघुव्याससंहिता1/7)
*- तेल लगाने के बाद, श्मशान घाट से लौटने के बाद, दाढ़ी बनाने के बाद और स्त्री के साथ यौन क्रिया करने के बाद जब तक मनुष्य नहाता नहीं है, अपवित्र ही रहता है। इसलिए शास्त्रों के अनुसार ये सभी काम करने के बाद इंसान को तुरंत ही नाहा लेना चाहिए। (तैलाभ्यंगे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि…चाणक्य नीति 8/6)
*- अगर आपन नहाने के लिए नदी में जाते हैं तो जिस ओर उसकी धार आती हो और अन्य जगहों पर सूरज की तरफ मुँह करके ही नहाना चाहिए, ये बहुत ही फायदेमंद होता है। (स्रवन्ती चेत् प्रतिस्रोते प्रत्यर्कं…महाभारत, आश्व 92)
*- कुएँ के जल से ज्यादा पवित्र जल झरने का होता है और उससे भी पवित्र सरोवर का होता है एवं इन सबसे पवित्र जल नदी का होता है। तीर्थ स्थलों का जल नदी के जल से भी पवित्र माना जाता है और गंगा नदी के जल को सबसे पवित्र माना जाता है। इसलिए गंगा नदी में स्नान करना सबसे पवित्र होता है। (भूमिष्ठादुद्धृतं पुण्यं तत:…गरुड़ पुराण, आचार, 205/113)
*- थकी हुई हालत में कभी नहीं नहाना चाहिए और मुँह को धोये बिना भी कभी नहीं नहाना चाहिए, इसलिए नहाने से पहले शरीर को थोड़ा आराम दें और मुँह को धो लें। (नावितक्लमो नानाप्लतवदनो…चरक संहिता सूत्र. 9/19)
*- जो मनुष्य दोनों पक्षों की एकादशी को आंवले के पानी से स्नान करता है, उसके जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति को विष्णु लोक में सम्मानित किया जाता है। इसलिए कोशिश करें कि एकादशी के दिन आंवले के पानी से स्नान करें। (एकादश्यां पक्षयुगे…पद्यपुराण, सृष्टि 13/10-11)
*- नहाने के बाद जो आपने भीगे हुए कपड़े पहने हुए थे, उससे शरीर को नहीं पोछना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पहने हुए भीगे कपड़े से शरीर को पोछना कुत्ते से शरीर को चटवाने के बराबर होता है। इससे शरीर पुनः अशुद्ध हो जाता है। इसके लिए आपको दुबारा स्नान करना पड़ता है। (स्नानवस्नेण य: कयद्दिेहस्य…वाधूलस्मृति 71)
*- स्नान करके से पहले भूलकर भी शरीर पर चन्दन का तिलक नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करना पाप माना जाता है। (नानुलेपनमादद्यान्नास्नात:…मार्कंडेयपुराण 34/43)
*- रविवार के दिन, महादान, तीर्थ, व्रत-उपवास, श्राद्ध, संक्रांति, ग्रहण, अमावस्या व षष्ठी तिथि को गर्म पानी से भूलकर भी स्नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करना भी शास्त्रों में पाप माना जाता है। (रविसंक्रांतिवारेषु…ब-हत्पराशर स्मृति 2/112)
*- जो लोग बिना कपड़ो के स्नान करते हैं, उन्हें इस बात का ध्यान खासतौर पर रखना चाहिए कि नग्न होकर कभी भी स्नान ना करें। इसे भी महभारत में पाप की श्रेणी में रखा गया है। (न नग्न: स्नातुमर्हति…महाभारत, अनु, 104/67)