दुनिया की सबसे बड़ी भगवद् गीता आ रही है भारत, इसके एक पेज को पलटने में लगते हैं 4 लोग
हिंदू धर्म की सबसे पवित्र ग्रंथ भगवद् गीता में उन बातों का जिक्र है जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध में उपदेश के रूप में कहीं थीं. उसे आज श्रीमद्भगवदगीता के नाम से जाना जाता है. वैसे तो आपने भगवद्गीता को कई अलग-अलग प्रकाशन के जरिए पढ़ी होंगी लेकिन क्या आपको पता है कि इस दुनिया की सबसे बड़ी और भारी गीता इटली के एक मंदिर में स्थापित है ? इस ग्रंथ में भी वही बातें हैं जो आपने आज तक किसी छोटी भगवद गीता में पढ़ी होंगी. आज हम आपको ऐसी गीता के बारे में बताने जा रहे हैं जो टॉपिक शायद आपके लिए बिल्कुल नया होगा और दुनिया की सबसे बड़ी भगवद् गीता आ रही है भारत, इसे भारत की राजधानी में रखा जाएगा. इसे आम आदमी भी देख सकेंगे जिसके लिए आपको दिल्ली तक आना होगा, जहां आपको दुनिया की सबसे बड़ी और भारी गीता के दर्शन करने का मौका मिलेगा.
दुनिया की सबसे बड़ी भगवद् गीता आ रही है भारत
दुनिया की सबसे बड़ी और बारी भगवद्गीता इटली के मिलान शहर में बनाई गई है और इसे समुद्र के रास्ते से भारत लाया जाएगा. इस भगवद्गीता को 18 दिसंबर यानी गीता जयंती के दिन दिल्ली के इस्कॉन मंदिर में रखा जाएगा. इस आयोजन का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे और इस दौरान इस्कॉन मंदिर दिल्ली के प्रभारी गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज और कुरुक्षेत्र के प्रभारी साक्षी गोपाल दास महाराज भी मोदी जी के साथ शामिल होंगे. आज तक ये पवित्र ग्रंथ इटली का आकर्षण केंद्र रहा है और अब यह भारत में अपनी रौनक बिखेरेगा. दुनिया की इस सबसे भारी गीता का वजन 800 किलोग्राम के करीब है. 670 पेज में बनी इस किताब को संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इसे बनाने में लगभग ढाई साल का समय लगा है. इन सबमें हैरानी की बात यह है कि इतने भारी पन्ने वाली इस भगवद् गीता के एक पन्ने को पलटने के लिए करीब 4 लोगों की जरूरत होती है. अहमदाबाद के इस्कॉन मंदिर के प्रमुख जशोमतिनंदन दास ने अनुसार, इस भगवद् गीता को बनाने में 1.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
18 दिसंबर को आने वाली इस गीता को फिलहाल दिल्ली के इस्कॉन मंदिर में ही रखा जाएगा लेकिन खबरों के मुताबिक इसे साल 2020 में इसे कुरुक्षेत्र में रखा जाएगा. यहां पर श्रीकृष्ण-अर्जुन का विशाल मंदिर बन सकता है और इसी में दुनिया के सबसे बड़े भगवद् गीता की स्थापना हमेशा के लिए हो जाएगी. इस्कॉन मंदिर के संस्थापक स्वामी प्रभुदाय की ओर से गीता प्रचार के 50 साल पूरे होने के खास मौके पर यह गीता प्रकाशित कराई गई थी और इसे संस्था से जुड़े वेदांत बुक ट्रस्ट ने छापा है. कुछ मीडिया रिपोर्टस् के अनुसार, यह महाग्रंथ सिंथेटिक के मजबूत कागज से तैयार किया गया है और इस पर कई तरह के धातु जैसे प्लेटिनम, सोना और चांदी भी जड़ा गया है. इसके अलावा इसके कवर को स्वर्णिम धातु से तैयार किया गया है.
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