ब्रह्मा ने ली थी श्रीकृष्ण की अनोखी परीक्षा, लीला देख कर हो गए थे हैरान
श्रीकृष्ण की तो लीला ही अपरमपार है। उन्होंने ना जाने कितनी ही लीलाएं रची हैं जिनसे मनुष्य को सीख मिली है। चाहे वह यह बताना हो कि प्रेम कैसे करते हैं या फिर मित्रता कैसे निभाते हैं। प्रभु श्रीकृष्ण ने रक्षा करना भी सिखाया है और सजा देना भी। वैसे तो सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण और कोई नहीं बल्कि भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। एक दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने भगवान कृष्ठ की परीक्षा लेने की ठानी।
ब्रह्मा ने ली परीक्षा
श्रीकृष्ण बाल रुप से थोड़े बड़े थे और अपने मित्रों के साथ गोकुल के बाग में खेल रहे थे। श्रीकृष्ण का खेल भी ऐसा की कई भी उनको देखकर मोहित हो जाए। वहां उनके साथ कई सारी गाये भी बंधी हुई थी। ब्रह्माजी ने कृष्ण को हंसता खेलते देख उनकी परीक्षा लेने की ठानी। खेल खेल में कृष्ण जी का ध्यान भटका तो देखते हैं कि सारे मित्र और गाय गायब हैं। इनका अपहरण ब्रह्मा जी मने कर लया। ब्रह्मा जी यह पता लगाना चाहते थे कि श्री कृष्ण को अपने मित्रों से कितना मोह है।
श्रीकृष्ण को था पता
ब्रह्मा जी ने खेल तो बालक के साथ खेला था, लेकिन उनको यह ध्यान नहीं रहा कि श्री कृष्ण तो सब जानते हैं। जो सृष्टि को चलाता है वह नहीं समझेगा कि कहां क्या. हो रहा है। हालांकि उन्हें सिर्फ अपने परीक्षा का परिणाम देखना था। उन्होंने अपहरण किए हुए मित्रों और गायों को योगनिद्रा में भेज दिया जिससे उन्हें किसी बात का ज्ञान ना हो और ना ही वह कुछ समझ सके।
खुद को कर लिया विभाजित
श्रीकृष्ण ब्रह्मा का रचा खेल तो समझ रहे थे, इसलिए मित्रो की चिंता नहीं थी। उनके मन में डर था कि जब इनके माता पिता को पता चलेगा कि खेलते खेलते पुत्र गायब हो गए तो वह बहुत दुखी हो जाएंगें। उनको दुख और पीड़ा से बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने खुद उतने हिस्सों में विभाजित कर लिया जितने उनके मित्र और गाय खोए थें।
ऐसा करने बाद उन्होंने जिस जिस मित्र का रुप धरा उस उस घर में चले गए। इधर ब्रह्मा जी व्याकुल बैठे थे। श्री कृष्ण की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना मिलते देख और बेचैन हो गए। वह धरती पर ए ताकी समझ सकें की माजरा क्या है। उन्हें तो पता ही नहीं था कि हर घर में कृष्ण विराजमान हैं। ब्रह्मा जी को धरती पर भी कुछ हासिल नहीं हुआ तो वापस लौट आए।
ब्रह्मा जी ने कुछ दिन और प्रतिक्षा की, उसके बाद देवलोक से सत्य की खोज करने लगे। जब उन्होंने देख कि अपहरण किए हुए बच्चे तो घरों में सुरक्षित हैं तो उनके होश उड़ गए। धीरे धीरे उन्हें समझ आ गया कि यह प्रभु की एक लीला है। आखिरकार श्री कृष्ण विष्णु जी का ही रुप हैं। उन्होंने बिना कोई कां किये ही बालकों को सुरक्षित कर दिया।ब्रह्मदेव ने बालकों को छोड़ दिया और .योगनिद्रा से भी हटा दिया। श्रीकृष्ण ने सिर्फ अपने मित्रों के माता पिता की चिंता में खु के कई टुकड़े कर लिए थे। वह अपने भक्तो की बात हमेशा सुनते हैं। श्रीकृष्ण बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बनाते हैं।
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