जानें देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय
दीपावली का शुभ त्यौहार बीतने के बाद अब 19 नंवबर को देवोत्थान एकादशी मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत बहुत महत्व रखता है। देवशयनी एकादशी के बाद भगवान श्री हरि विष्णु चार महीने के लिए गहन निद्रा में चले जाते हैं और जिस दिन नींद से जागते हैं वह देवोत्थान एकादशी कहलाती है। इस देव उठनी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहते है।यह एकादशी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होता है और इस दिन भगवान विष्णु चार महिने के लिए नींद से जागते हैं। आपको बताते हैं देवोत्थान एकादशी की व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त।
देवोत्थान एकादशी व्रत कथा
माता लक्ष्मी एक बार भगवान विष्णु की सेवा करते हुए बोली कि प्रभु या तो आप दिन रात जागते हैं या फिर लाखों करोड़ो साल के लिए सोते रहते हैं। आपको हर साल नियमित रुप से निद्रा लेनी चाहिए। यह सुनकर भगवान श्री हरि ने कहा कि आप ठीक कहती हैं। मेरे जागने पर सबसे अधिक कष्ट आपको ही सहना पड़ता है और आपको पल भर के लिए भी मेरी सेवा करने से आराम नहीं मिलता। आपके कहने के अनुसार मैं हर साल वर्षा ऋतु में चार महीने के लिए शयन करुंगा जिससे आपको और देवताओं को कुछ वक्त का आराम मिलेगा।
मेरी यह निद्रा अल्पकालीन औऱ प्रलयकारी महानिद्रा कहलाएगी। मेरी इस निद्रा के दौरान जो भी भक्त भावना से मेरी सेवा करेंगे और मेरे शयन और जागरण को उत्सव के रुप में मनाते हुए विधिपूर्वक व्रत, उपवास व दान पुण्य करेंगे और उनको यहां मैं आपके साथ निवास करुंगा। इसके बाद से सभी लोग देवोत्थान एकादशी के दिन व्रत करके भगवान विष्णु, लक्ष्मी मां और तुलसी की पूजा करते हैं।
देवोत्थान एकादशी शुभ मुहूर्त
देवोत्थान एकादशी तिथि प्रारंभ– 01:34 ( 18 नवंबर)
देवोत्थान एकादशी तिथि समाप्त– 02:30 (19 नंवबर)
देवोत्थान एकादशी पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान करके भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प करें और चौकी पर भगवान की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद रोली का तिलक लगाकर पूजा अर्चना करें। भगवान तो सिंघाड़ा, शकरकंद, गन्ना जैसे अनेक प्रकार के फल भगवान को भोग लगाएं।शाम के समय घर के आंगन में भगवान के सुंदर चरण बनाकर पूजा- अर्चना करें।
घी का दीपक जलाएं और ऐसे जलाएं की वह रात भर जलता रहे भोर यानी ब्रह्म मुहूर्त में भगवान विष्णु के चरणों की विधिवत ढंग से पूजा करें। उनंके चरणों की पूजा कर उन्हें जगाएं।
इसेक बाद से सारे मंगल कार्य विधिवत रुप से शुरु कर सकते हैं। देवोत्थान एकादशी के दिन कुछ विशेष प्रयोग करकें विवाह में आ रही परेशानियों को दूर किया जा सकता है।
देवोत्थान एकादशी तुलसी विवाह
देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विवाह शालीग्राम रुप का विवाह तुलसी के साथ किया जाता है। तुलसी को विष्णुप्रिया भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब श्री हरि जागते हैं तो सबसे पहली कथा हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं। तुलसी के माध्यम से ही श्री हरि का आह्वान किया जाता है।
इस दिन जिन दंपत्तियों की संतान नहीं होती है उन्हें एक बार तुलसी का विवाह कर कन्यादान करना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा के साथ साथ तुलसी विवाह आज ही के दिन संपन्न कराया जाता है।
देवोत्थान एकादशी का महत्व
- इसे पाप विनाशिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन उपवास रखने से पापों से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह करने से कन्यादान के सामान पुण्य प्राप्त होता है।
- एकादशी का व्रत करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञों का फल मिलता है।
देवोत्थान एकादशी के उपाय
जल्दी विवाह के लिए उपाय
लाल या पीले रंग का वस्त्र धारण करें। शालिग्राम को स्नान कराके उन्हें चंदन लगाएं।
उन्हें पीले रंग के आसन पर बैठाएं। फिर तुलसी को अपने हाथों से उन्हें समर्पित करें। इसके बाद शालिग्राम और तुलसी से प्रार्थना करें कि आपका विवाह जल्द संपन्न हो।
अगर विवाह में बाधा आ रही हो तो
सबसे पहले पूर्ण रुप से श्रृंगार करें औऱ पीले रंग का वस्त्र परहनें। शालिग्राम के साथ तुलसी का गठबंधन करें।
इसके बाद हाथ में जल लेकर तुलसी की नौ बार परिक्रमा करें। बंधी हुई गांछ के साथ उस वस्त्र को अपने पास हमेशा रखें।
देवोत्थान एकादशी के दिन बरतें सावधानी
- अगर उपवास रख रहे हों तो निर्जल या जलीय पदार्थ पर उपवास रखें। अगर कोई रोगी है, या बालक है या व्यस्त व्यक्ति है तो केवल एक बार का उपवास रखें
- अगर संभव हो सके तो इस दिन चावल औऱ नमक का इस्तेमाल खाने में नहीं करना चाहिए।
- भगवान विष्णु या अपने इष्ट देव की उपासना करें। उनका ध्यान करें।
- इस दिन प्याज, लहसून, मांस, मंदिरा का उपयोग बिल्कुल ना करें।
देवोत्थान एकादशी लक्ष्मी और विष्णु पूजा में चढ़ाएं ये फल
गन्ना
एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग में गन्ना जरुर चढ़ाएं और गन्ने का मंडप बनाकर पूजा करें। ऐसा करने से घर में हमेशा सुख शांति बनी रहती है। आज ही के दिन किसान गन्ने को भगवान को अर्पित करके अगले दिन फसल काटना शुरु कर देते हैं।
केला
भगवान विष्णु को केला बहुत प्रिय है। जब वह अपनी अल्प निद्रा से जागते हैं तो भोग के रुप में उन्हें केला चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से घर में हमेशा धन वृद्धि होती है।
सिंघाड़ा
एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को सिंघाड़ा चढ़ाना सबसे शुभ माना जाता है। इसके भोग लगाने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
पंचामृत
दूध, दही, शहद और घी मिलाकर पंचामृत बनाते हैं। मान्यता है कि बिना पंचामृत के विष्णुजी के अवतारों की पूजा नहीं हो सकती। इस दिन पंचामृत का भोग लगाए और विष्णु भगवान की कृपा पाएं।
तुलसी
इस दिन तो तुलसी के साथ ही उनका विवाह होता है इसलिए तुलसी उन्हें बहुत प्रिय हैं।भगवान विष्णु को तुलसी ने अपने सिर पर स्थान दिया है इसलिए एक पत्ता उनके सिर पर रखें और भोग भी लगाएं।
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