नाभा जेलब्रेकः खालिस्तानी आतंकी हरमिंदर सिंह गिरफ्तार; आईएसआई से तार जुड़े होने का अंदेशा
नई दिल्ली – नाभा जेल से फरार आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया है। पंजाब और दिल्ली पुलिस ने संयुक्त रुप से अभियान चलाकर मिंटू को गिरफ्तार किया है। आपको बता दें कि हरमिंदर सिंह मिंटू खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का मुखिया है। ऐसा बताया जा रहा है कि उसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रेलवे स्टेशन से सोमवार सुबह गिरफ्तार किया है। Terrorist Harminder Mintoo Arrested.
गौरतलब है कि रविवार सुबह पटियाला स्थित नाभा जेल से 10 हथियारबंद बदमाशों ने जेल में घुसकर फायरिंग की और खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के मुखिया समेत 6 कैदियों को अपने साथ छुड़ा ले गए थे।
जेल से फरार कराने के पीछे ISI का हाथ होने का अंदेशा –
नाभा जेलब्रेक कर खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के मुखिया समेत 6 कैदियों को फरार कराने के तार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़ते दिख रहे हैं। खुफिया एजेंसियों ने भगोड़े कैदियों के हिमाचल और उत्तराखंड में छिपे होने की आशंका जताई है। साथ ही इस बात का अंदेशा भी जताया है कि खलिस्तान लिबरेशन फोर्स के प्रमुख हरमिंदर सिंह मिंटू के संबंध ISI और पाकिस्तान में सक्रिय दूसरे आतंकी संगठनों से हैं और वह इनके संपर्क में भी था। दिल्ली से मिंटू कि गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में सुरक्षा एजेंसियों को अहम जानकारी हाथ लग सकती है।
पंजाब में चुनावी माहौल बिगाड़ने की साजिश –
यह हमला पंजाब में अगले साल चुनाव को देखते हुए चुनावी माहौल को बिगाड़ने की साजिश भी हो सकता है। मिंटू को पंजाब पुलिस ने नवंबर 2014 में गिरफ्तार किया था। 10 से अधिक आतंकी हमलों में उसका नाम शामिल है। मिंटू 2008 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम और हलवाड़ा एयरफोर्स स्टेशन पर हमले समेत कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहा है। पंजाब पुलिस के अनुसार हरमिंदर 2010 में यूरोप भी जा चुका है। 2013 में उसने पाकिस्तान छोड़ा था। मिंटू को पंजाब पुलिस ने 2014 में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था। वो पंजाब में शिवसेना के तीन नेताओं की हत्या की साजिश रचने के केस में भी आरोपी है।
इधर नाभा जेल पर हमले में पुलिस की थ्योरी पुलिस महकमे के वरिष्ठ अधिकारियों को हजम नहीं हो रही है। उनका मानना है कि नाभा जेल की डबल लेयर में थ्री लेयर सिक्योरिटी सिस्टम को भेद पाना 10 गैंगस्टर्स के लिए असंभव है। सिक्योरिटी को भेद कर जिंदा बाहर आना संभव नहीं था। डीजीपी सुरेश अरोड़ ने भी स्वीकार कर लिया है कि जेल प्रशासन की मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता है।