
26/11 के मुंबई आतंकी हमले की बरसी आज –पूरे देश में दी जा रही है श्रद्धांजलि, मारे गए थे 166 लोग
नई दिल्ली – मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले को आठ साल हो गए हैं। आज ही के दिन ठीक आठ साल पहले मुंबई पर घातक आतंकी हमले हुए थे जिन में 170 के क़रीब आम नागरिक मारे गए थे। ये हमले 60 घंटों तक जारी रहे थे। उन तीन दिनों में दौड़ता-भागता, जीता-जागता मेट्रोपोलिटन मुंबई शहर ठहर औऱ सहम सा गया था। आज भी मुंबई हमले की याद लोगों के दिलों-दिमाग पर छाई है।
इस हमले में अजमल कसाब सहित 10 आतंकवादी शामिल थे। हमले में जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को पिछले साल 21 नवंबर को फांसी दे दी गई।
ऐसे शुरू हुआ था मौत का खेल –
आतंकवादियों ने रात के तकरीबन साढ़े नौ बजे कोलाबा इलाके में बंदूक की नोंक पर पुलिस की दो गाडिय़ों पर कब्जा किया। यहां से आतंकी एक गाड़ी लेकर कामा हा़स्पिटल की तरफ निकले जबकि दूसरी गाड़ी दूसरी तरफ चली गई। रात के लगभग 9 बजकर 45 मिनट पर तकरीबन 6 आतंकवादियों का एक गुट ताज की तरफ बढ़ा जा रहा था तभी उनके रास्ते में आया लियोपार्ड कैफे जहां उन्होंने भीड़-भाड़ देखा तथा जिसमें भारी संख्या में विदेशी भी मौजूद थे। हमलावरों ने अचानक एके 47 दाग दी और लियोपार्ड कैफे के सामने खून की होली खेली जाने लगी। बंदूकों की तड़तड़ाहट से पूरा इलाका गूंज उठा। आतंकवादियों का लक्ष्य यह कैफे नहीं था। यहां गोली चलाते और ग्रेनेड फेंकते हुए आतंकी ताज होटल की तरफ चल दिए।
ताज होटल बना सबसे बड़ा निशाना –
कैफे से निकलकर आतंकवादियों ने ताज होटल में गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद ताज से महज दो किलोमीटर दूर आतंकवादियों के दूसरे गुट ने कार्रवाई शुरू कर दी हमलावरों ने सीएसटी स्टेशन यानी विक्टोरिया टर्मिनल के एक प्लेटफॉर्म पर पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड भी फेंके। इसके बाद यहां मौजूद आतंकियों में से कुछ आतंकी जीटी अस्पताल पहुंच गए। बस पांच मिनट बाद ही रात के दस बजे सीएसटी स्टेशन से लगभग पांच किलोमीटर दूर मझगांव में धमाका हुआ।
26/11 हमला: अब पहले से सुरक्षित है मुंबई –
26 नवंबर 2008 को समुद्री रास्ते से आए पाकिस्तानी आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी को 60 घंटे तक के लिए बंधक बना लिया। सभी जानते हैं कि इतने बड़े हमले में पाकिस्तान का हाथ था, लेकिन इसके मास्टरमाइंड आज भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं। आतंक के आका हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी जैसे लोग पाकिस्तान में चैन की जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे में सवाल यही है कि पाकिस्तान से इस तरह के हमलों का हिसाब कब होगा। लेकिन 26/11 के हमले से सबक लेते हुए यह जरुर कहा जा सकता है कि मुम्बई अब ज्यादा सुरक्षित है।