सिर्फ गणेश-लक्ष्मी पूजन नहीं बल्कि ये परंपराएं भी हैं दीवाली पर महत्वपूर्ण
न्यूज़ट्रेंज वेब डेस्क: हिंदुओं में दीवाली का त्यौहार बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन घरों में मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है। घरों को दीपों की रोशनी से सजाया जाता है और मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। इस त्यौहार में परंपराओं का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन किए जाने वाले हर कार्य परंपरा अनुसार किए जाते हैं। दीपावली में अलग-अलग प्रदेशों में दीवाली के दिन कुछ अलग और विशेष करा जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं दीवाली में निभाई जाने वाली कुछ परंपराओं के मामले में।
दीवाली पर जलाये जाते हैं दीये
इस त्यौहार में दीपक जलाने की विशेष परंपरा है, बता दें कि जब भगवान राम वनवास के बाद अयोध्या वापस आए थे उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी तब नगरवासियों ने दीपक जलाकर पूरे शहर को रौशन कर दिया था। और तभी से दीये जलाने की परंपरा चली आ रही है।
दीवाली पर बजाया जाता है सूप
दीपावली के दिन कई स्थानों पर सूप बजाने की परंपरा है। इस परंपरा के अनुसार घर के सदस्य को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सूप बजाना होता है और प्रार्थना की जाती है। मां लक्ष्मी का आह्वान करते हुए कहते हैं – ‘अन्न धन लक्ष्मी घर आओ, अलक्ष्मी दरिद्रता बाहर जाओ।’
बिहार सहित कई स्थानों पर है यह रिवाज
खर-संठी यानी की अरंजी की लकड़ियों का हुक्का बनाया जाता है और इन लकड़ियों को जलाकर पूरे घर में घुमाया जाता हैं। इसके बाद इसे बुझाकर घर से बाहर या छत पर फेंक देते हैं। इस रिवाज के पीछे ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा चली जाती है।
दीवाली पर मंदिरों में करते हैं नई झाडू का दान
ऐसा माना जाता है कि दीपावली पर मंदिरों में नई झाडू दान करना शुभ होता है, ये परंपरा देश के अलग-अलग क्षेत्रों में है। इसके अनुसार लोग इस दिन बाजार से नई झाडू खरीदकर मंदिरों में दान करते हैं। इसका कारण यह बताया जाता है कि झाडू के मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसलिए ही इस परंपरा की शुरूआत हुई।
दीवाली पर दिया जाता है उपहार
दीवाली के त्यौहार पर लोगों को उपहार देने की भी परंपरा है। दीवाली के मौके पर लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को उपहार देते हैं, इस प्रकार से वह लोगों को अपना प्रेम दर्शाते हैं और उनकी समृद्धि की कामना करते है।
दीवाली पर बनायी जाती है रंगोली
दीवाली के मौके पर घरों के बाहर और अंदर रंगोली बनाकर घर की सुंदरता बढ़ाई जाती है। घर के दरवाजे पर सुंदर रंगोली बनाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है।
दीवाली पर घर से बाहर ना निकलें खाली हाथ
दिवाली एक नहीं बल्कि पांच दिनों का पर्व होता है। धनतेरस से शुरू होकर यह त्यौहार भाई दूज तक मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन पांच दिनों में घर से बाहर कभी भी खाली हाथ नहीं निकलना चाहिए।
दीवाली पर होती है कुल्हिया भरने और कुल्हिया पूजने की प्रथा
कुल्हिया एक प्रकार का मिट्टी का बर्तन होता है, जिसका आकार हांडी की तरह होता है। दीपावली पर 4 कुल्हिया में धान का लावा (खील-बताशे) भरकर पूजा की जाती है। इनमें से दो कुल्हिया मंदिर में दे दी जाती हैं और दो कुल्हिया परिवार के सदस्यों को प्रसाद के रूप में दी जाती हैं। इन्हें पूजने का कारण, मां लक्ष्मी से धन-धान्य की कामना करना है। साथ ही घर का अन्न भंडार भरा रहने की प्रार्थना का प्रतीक होती हैं ।
दीवाली पर बनाए जात हैं घरौंदे
पंजाब सहित देश के अन्य कई राज्यों में इस परंपरा का पालन किया जाता है। इसमें दीपावली के दिन मिट्टी के घरौंदे बनाकर या लाकर उसमें लक्ष्मी-गणपति को विराजित करके उनकी पूजा की जाती है।
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