इन जगहों पर महिलाएं पति की रक्षा के लिए नहीं करतीं करवाचौथ
न्यूजट्रैंड वेब डेस्कः भारतीय परंपरा में व्रत का बहुत महत्व है। साल भर में कई ऐसे व्रत होते हैं जो महिलाएं अपने पति के लिए करती हैं। इनमें से एक खास व्रत है करवाचौथ का। इस व्रत को शादीशूदा और कुंवारी कन्याएं दोनो रखती हैं। जहां शादीशूदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना और उनके स्वास्थ्य के लिए व्रत करती हैं वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं।
इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रहते हुए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि उनके पति की आयु लंबी हो और उनका सुहाग अमर रहे। इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन भारत में ऐसी भी जगह हैं जहां करवाचौथ का त्यौहार नहीं मनाया जाता और इसके पीछे चौंकाने वाली वजह है।
सुरीर में नहीं मनाते करवाचौथ
मथुरा से करीब 60 किमी दूर सुरीर में पिछले 80 साल से करवाचौथ का त्यौहार नहीं मनाया गया है। यहां सुहागिन महिलाएं ना निर्जला व्रत रखती हैं और ना कुवांरी। इतनी ही नहीं इस दिन किसी मंदिर में महिलाएं पूजा भी करने नहीं जातीं। जिस दिन का महिलाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है उस दिन इस गांव की महिलाओं में कोई उत्साह नहीं होता और सन्नाटा पसरा रहता है। इसे पीछे गांव वाले कहानी के बारे में बताते हैं।
ऐसा माना जाता है कि करीब 300 साल पहले एक ब्राहम्ण दंपति थे जो राम नगला से सुरीर की तरफ आ रहे थे। उनके साथ एक भैंस भी थी जो उन्हें विदाई के रुप में मिली थी। जब दोनों सुरीर पहुंचे तो यहां के लोगों ने भैंस को अपना बताया। ब्राह्मण दंपति ने कहा कि यह उनकी भैंस है और उन्होंने इसे देने से इनकार कर दिया। गांव वालों ने क्रोध में ब्राह्मण की हत्या कर दी। ब्राह्मण की पत्नी ने श्राप दिया कि जैसे मैं विधवा हुई हूं, उसी तरह से गांव की हर बहु बेटी विधवा हो जाएगी। उनके श्राप के बाद से यहां कि महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखना छोड़ दिया।
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सती ने दिया था श्राप
एक महिला ने बताया कि लगभग 80 सालों से किसी महिला ने यहां व्रत नहीं रखा है। बहुत पहले एक महिला ने व्रत रखा था और उसके पति की असमायिक मौत हो गई थी। उसके बाद से लेकर आज तक कोई भी महिला अपने पति की रक्षा के लिए यहां व्रत नहीं करती हैं। इसे सती का श्राप मानते हैं। यहां तक की सती महिला की प्रतिमा भी गांव में स्थापित है। ऐसी कहानी सिर्फ मथुरा की नहीं है।
करनाल के तीन गांव की चौहान गोत्र की महिलाएं लंबे समय से करवाचौथ नहीं मना रही हैं। इन महिलाओं का मानना है कि व्रत करने से उनके पति की जान चली जाएगी। करीब 600 साल पहले एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी उसने उस वक्त वहां के मौजूद लोगों को श्राप दिया की उनके सुहाग भी उजड़ जाएंगे। मानते हैं कि करवाचौथ वाले दिन उसकी पति की हत्या हुई थी और उसी दिन के लिए उसने ऐसा श्राप दिया था तबसे वहां की महिलाएं व्रत नहीं करती और उनके घर की बेटियां ससुराल जाकर व्रत करती हैं।